अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन के अध्यक्ष प्रवीण काशी की जेल से रिहा, कहा- संघर्ष अभी जारी रहेगा...
अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण काशी को 20 दिनों के अनशन के बाद गिरफ्तार किए जाने के लगभग 10 दिन बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. रविवार की सुबह प्रवीण काशी को जेल से रिहा किया गया
वाराणसी, भदैनी मिरर। अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण काशी को 20 दिनों के अनशन के बाद गिरफ्तार किए जाने के लगभग 10 दिन बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. रविवार की सुबह प्रवीण काशी को जेल से रिहा किया गया, जिसके बाद उन्होंने ई-रिक्शा चालकों से मुलाकात की. रिहाई के बाद काशी ने बताया कि जिलाधिकारी की ओर से वार्ता का प्रस्ताव आया है और आगामी दिनों में यूनियन प्रशासन के साथ बैठक करेगी. इस बैठक में चालकों द्वारा प्रस्तावित एक वैकल्पिक यातायात मॉडल पेश किया जाएगा, जिससे जाम की समस्या को हल किया जा सके.
प्रवीण काशी ने सुझाव दिया कि यदि शहर में केवल परमिटधारी ऑटो ही संचालित हों तो ई-रिक्शा और ऑटो की कुल संख्या 30,000 से अधिक नहीं होगी, जो जाम को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकती है. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कागजात अधूरे रखने वाले ई-रिक्शा चालकों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और बिना लाइसेंस, फिटनेस सर्टिफिकेट और इंश्योरेंस के वाहन नहीं चलने चाहिए.
आगामी न्यायिक और राजनीतिक रणनीति
प्रवीण काशी ने इस मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करने की योजना की भी जानकारी दी. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर 100 बसें बिना जाम उत्पन्न किए शहर में चल सकती हैं, तो एक छोटा ई-रिक्शा जाम का कारण कैसे बन सकता है? उनका आरोप है कि ई-रिक्शा चालकों की कमाई छीनी जा रही है, जबकि बस मालिकों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने बसों को सहकारी मॉडल पर संचालित करने का सुझाव दिया, जिससे लाभ कई लोगों में वितरित हो सके.
यूनियन का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने के लिए दिल्ली जाएगा. काशी ने बताया कि ये दोनों ही संसद में ई-रिक्शा के लिए अध्यादेश लेकर आए थे, और अब उनकी मदद से समस्या का समाधान निकाला जाएगा. इसके अलावा, यूनियन अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से भी संपर्क करेगी.
आंदोलन को समर्थन
इस आंदोलन के समर्थन में कई अधिवक्ताओं और डीलर एसोसिएशन के सदस्यों ने अहम भूमिका निभाई. अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन ने अधिवक्ता अमित कुमार सिंह, श्याम सरोज दूबे, सुरेंद्र सेठ, और डीलर एसोसिएशन के नौशाद अहमद और सुनील गुप्ता का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया है.
प्रवीण काशी ने यह स्पष्ट किया कि उनका सत्याग्रह अभी खत्म नहीं हुआ है, केवल अनशन को उनकी सेहत की गिरती स्थिति के कारण समाप्त किया गया है. उनका संघर्ष जारी रहेगा, क्योंकि यह 25,000 परिवारों की आजीविका बचाने की लड़ाई है.
बता दें कि प्रवीण काशी की गिरफ्तारी उस समय हुई थी जब वे यातायात विभाग द्वारा लागू की गई बारकोड क्यूआर सिस्टम के खिलाफ अनशन कर रहे थे. इस नई प्रणाली का विरोध करते हुए काशी ने इसे ई-रिक्शा चालकों की आजीविका के लिए घातक बताया था. प्रवीण काशी का तर्क है कि यह बारकोड प्रणाली, जिसे यातायात जाम को कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया है, न केवल विफल होगी बल्कि इससे लाखों ई-रिक्शा चालक बुरी तरह प्रभावित होंगे. उनका दावा है कि इस प्रणाली के कारण लगभग 95% ई-रिक्शा चालक बैंक से ऋण लेने में असमर्थ होंगे, जिससे उनके सामने गंभीर वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है.