लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में मरीजों को होती है कम पीड़ा, बोले डॉ मनीष दूरबीन विधि से इंफेक्शन का नहीं होता खतरा...

Patients have less pain in laparoscopy surgery said Dr Manish Binocular method does not pose a risk of infection. मरीजों की। सर्जरी लैप्रोस्कोपिक विधि से कराई जाए तो उन्हे पीड़ा होती है यह कहना है सर्जन डाक्टर मनीष सिंह का. वह कहते है की दूरबीन विधि से मरीज को इंफेक्शन का खतरा भी नहीं होता है.

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में मरीजों को होती है कम पीड़ा, बोले डॉ मनीष दूरबीन विधि से इंफेक्शन का नहीं होता खतरा...
फोर्ड हॉस्पिटल के निदेशक और एंडोस्कोपी सर्जन डाक्टर मनीष कुमार सिंह.

वाराणसी, भदैनी मिरर। इन दिनों जितनी तेजी से विज्ञान जगत के प्रगति हो रही उतनी ही तेजी से चिकित्सा के क्षेत्र में भी बेहतर दवाइयों एवं नई तकनीकों के इस्तेमाल से हजारों मरीजों को नया जीवनदान मिल रहा है। इसके साथ ही भाग- दौड़ भरे आज के इस जीवन मे मरीज बेहतर इलाज के साथ जल्द से जल्द ठीक होने की भी अपेक्षा रखते हैं। जिसे देखते हुए चिकित्सा जगत में अत्याधुनिक सर्जरी की विधा से मरीजों को अधिक आराम और सहूलियतें पहुंचाने के लिए नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिनमें में से एक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी भी है। यानी कि दूरबीन पद्धति से की जाने वाली सर्जरी। आइए जानते हैं सर्जन डाक्टर मनीष सिंह क्या कहते हैं इसके बारे में...

1- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है, यह जनरल सर्जरी से कैसे अलग है?

सामनेघाट स्थित फोर्ड हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ मनीष बताते हैं कि लैप्रोस्कोपिक सर्जरी जनरल सर्जरी का ही हिस्सा है। जो अब नई तकनीक से किया जा रहा है। पहले सर्जरी में शरीर के हिस्से में बड़ा चीरा लगाना पड़ता था। उससे मरीजों को तकलीफ होती थी, हॉस्पिटल में कई दिनों तक रहना पड़ता था। उससे मरीज के साथ परिवार वालों का समय, पैसा और शारीरिक पीड़ा ज्यादा होती थी और जनरल सर्जरी  में इंफेक्शन का खतरा बना रहता था। 
लेप्रोस्कोपिक जिसे हम दूरबीन विधि भी कहते है, इसमें विभिन्न प्रकार की सर्जरी हम करते है, इस विधि में हम काफी छोटा छिद्र करते है और पेट में ऑक्सीजन भरके दूरबीन (telescope) डालकर पेट के ऑर्गन देखा जाता है।  उसके बाद 3-4  छोटे चीरों से मशीन से ही मरीज का ऑपरेशन करते है। यह सामान्य सर्जरी की अपेक्षा सरल व सुगम ऑपरेशन की विधि है और इससे मरीज को ज्यादा दर्द भी नही होता क्योकि सामान्य सर्जरी में की अपेक्षा इसमें नाम मात्र के चीरे लगते हैं। यह एक सुरक्षित सर्जरी है।

2- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्या फायदे हैं? इसे लेकर लोग कितने जागरूक हैं?

जनरल इंडोस्कोपिक सर्जन डॉ मनीष बताते हैं कि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी आज के समय मे बहुत ही एडवांस सर्जरी है और यह जनरल सर्जरी में आने वाली बीमारियों को एडवांस मेथड से ऑपरेट करता है। इसके फायदे यह हैं कि इसमें चीरा कम लगता है, ब्लीडिंग कम होती है, कम समय में ऑपरेशन होता है और मरीज जल्द से जल्द ठीक होकर अपने घर जा सकता है और अपना काम शुरू कर सकता है। इसे लेकर अब 70प्रतिशत लोग जागरूक हो चुके हैं। 

3- क्या लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के साइडइफेक्ट हैं?

डॉ मनीष बताते हैं कि इसके साइड इफेक्ट कम से कम होने की संभावना होती है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि सर्जरी करने वाला चिकित्सक कितना जानकर है। यदि चिकित्सक जानकर है तो इसमें साइड इफेक्ट होने के कोई चांस नहीं होते हैं।

4- किन बीमारियों में ज्यादातर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल हो सकता है?

डॉ मनीष बताते हैं ज्यादातर पेट से संबंधित बीमारियों जैसे गॉलब्लेडर की पथरी, एपेंडिक्स, गाइनो से संबंधित बीमारी, आंत का ट्यूमर आदि बीमारियों में लैप्रोस्कोपिक विधि का प्रयोग होता है।