लोलार्क कुंड में लाखों श्रद्धालु लगा रहे आस्था की डुबकी, महादेव से की संतान प्राप्ति और आरोग्य की कामना
लोलार्क षष्ठी के अवसर पर संतान प्राप्ति और आरोग्य की कामना के साथ भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगा रहे है
वाराणसी,भदैनी मिरर। लोलार्क षष्ठी के अवसर पर संतान प्राप्ति और आरोग्य की कामना के साथ भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगा रहे हैं. कुंड में स्नान के लिए रविवार दोपहर से ही पूर्वांचल समेत देश भर के राज्यों से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था. सोमवार की भोर से ही श्रद्धालुओं की कुंड में स्नान के लिए कतारें लगी हुई हैं. कुंड से लेकर गली और सड़क तक श्रद्धालु स्नान के लिए कतारबद्ध हैं.
लोलार्केश्वर महादेव मंदिर के महंत रमेश पांडेय ने बताया कि लोलार्क कुंड में स्नान के बाद लोलार्केश्वर महादेव की पूजा का विधान है. यह विश्व का इकलौता शिवलिंग है जिसका अर्घा पूरब मुखी है. मान्यता है कि भगवान सूर्य ने तपस्या के बाद स्वयं इस शिवलिंग को यहां स्थापित किया था. यहां की गई पूजा सूर्य भगवान को पहुंचती है लेकिन उसका फल उन्हें महादेव देते हैं.
लोलार्क कुंड के प्रधान पुजारी रमेश कुमार पांडे के अनुसार, लोलार्क षष्ठी के दिन लोलार्क कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति का फल प्राप्त होता है. साथ ही चर्म रोगों का भी निवारण होता है. मान्यता है कि सूर्य भगवान का मन काशी के दर्शन से अत्यंत लोल (विस्मृत) हो गया था. इसी कारण ही वहां पर सूर्य का नाम लोलार्क पड़ गया. काशी के दक्षिण दिशा में असि-संगम के समीप ही लोलार्क विराजमान हैं.
अगहन मास के किसी रविवार को सप्तमी या षष्ठी तिथि को लोलार्क की यात्रा करके मनुष्य समस्त पापों से मुक्ति पा जाता है. सूर्यग्रहण के समय स्नान और दान से कुरुक्षेत्र का दस गुना फल प्राप्त होता है. माघ मास की शुक्ल सप्तमी के दिन स्नान से मनुष्य अपने सात जन्म के संचित पापों से तुरंत मुक्त हो जाता है, जो भी पवित्र व्रत धारण कर हर रविवार लोलार्क के दर्शन करता है, उसे इस लोक में कोई दुख नहीं भोगना पड़ता।. हर रविवार लोलार्क के दर्शन कर उनका पादोदक सेवन करने वाले को दाद-खुजली इत्यादि रोग भी नहीं होता.