संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने किया श्वास रोग को लेकर मंथन, बोले- जानलेवा हो सकते है सांस के गंभीर दौरे...

ख्यात चिकित्सकों ने वर्तमान स्थिति के गंभीर विषय को चुनते हुए वायुमार्ग से सटे घावों के लिए न्यूनतम इनवेसिव सुई बायोप्सी EBUS व गंभीर श्वांस की बीमारी पर परिचर्चा की.

संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने किया श्वास रोग को लेकर मंथन, बोले- जानलेवा हो सकते है सांस के गंभीर दौरे...

वाराणसी, भदैनी मिरर। ब्रेथ ईजी चेस्ट फाउंडेशन फॉर ह्यूमैनिटी, ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल (अस्सी, वाराणसी) एवं आई.एम.ए (वाराणसी चैप्टर) के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को होटल रेडिसन, वाराणसी में एक चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें ख्यात चिकित्सकों ने वर्तमान स्थिति के गंभीर विषय को चुनते हुए वायुमार्ग से सटे घावों के लिए न्यूनतम इनवेसिव सुई बायोप्सी EBUS व गंभीर श्वांस की बीमारी पर परिचर्चा की. इस चिकित्सकीय कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत बी. सी रॉय अवार्ड - डॉ राजेंद्र प्रसाद (प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष - एरा मेडिकल कॉलेज), गेस्ट ऑफ़ हॉनर - डॉ. संदीप चौधरी (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी), डॉ अंशुल मित्तल (मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली), डॉ. राजाधर (सी.एम्.आर.आई हॉस्पिटल, कोल्कता), डॉ. राजेंद्र प्रसाद ( एरा मेडिकल कॉलेज, लखनऊ), डॉ. के. के गुप्ता (आई.एम.एस, बी.एच.यू.), डॉ. एस. के पाठक (निदेशक बेथ ईजी, वाराणसी), डॉ. वीरोत्तम तोमर (वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ, मेरठ), डा सुनीता पाठक (निर्देशिका ब्रेथ ईजी) ने संयुक्त रूप ने दीप प्रज्वलित करके किया. जिसके बाद अतिथियों ने ब्रेथ ईजी द्वारा प्रकाशित बी. ई टाइम्स पत्रिका का विमोचन किया.


मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने काशी की जनता से आगाह किया कि डिस्पेनिया ( सांस की समस्या) की गंभीर समस्या से बचने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श एवं इलाज कराये एवं विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि कम खर्चों में मरीजों को बेहतर ईलाज प्रदान कराए. इस दौरान डॉ. एस. के पाठक ने बताया कि - "ब्रेथ ईजी के प्रयास से पिछले एक दशक से इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा हैं, इतना ही नहीं लॉकडाउन होने पर भी यह कार्यक्रम रुका नहीं, इसे ऑनलाइन के माध्यम से (वर्चुअल) किया गया जिसे भरपूर सराहा गया. इस चिकित्सकीय संगोष्ठी का उद्देश्य चिकित्सको को गंभीर श्वांस बीमारी के प्रति नयी पद्धति की जानकारी के बारे में अवगत कराना हैं, जिससे मरीजों को श्वांस जैसी गंभीर बिमारियों से कम समय तथा कम खर्च में आसानी से ईलाज मिल सके. 

जिसके बाद  डॉ अंशुल मित्तल (मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली), डॉ. राजाधर (सी.एम.आर.आई हॉस्पिटल, कोलकता), डॉ. वीरोत्तम तोमर (वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ, मेरठ), डॉ. के. के गुप्ता (आई.एम.एस, बी.एच.यू) एवं डॉ. ए.के पाण्डेय (गैलेक्सी हॉस्पिटल, वाराणसी), डॉ. राजेंद्र प्रसाद ( प्रो. एवं विभागाध्यक्ष - एरा मेडिकल कॉलेज) ने चेस्ट सम्बंधित कुछ चुनिन्दा केस के बारे में चिकित्सको के
जानकारी दी.