ज्ञानवापी प्रकरण: अखिलेश और ओवैसी पर मुकदमें की पोषणीयता पर सुनवाई टली, दाखिल हुआ वकालतनामा...
ज्ञानवापी सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग पर भावना आहत करने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश और ओवैसी के विवादित बयान पर मुकदमें की पोषणीयता आज टल गई. इस पर सुनवाई कल होगी.
वाराणसी,भदैनी मिरर । ज्ञानवापी प्रकरण में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी पर मुकदमा चलना चाहिए या नहीं के मामले में गुरुवार को सुनवाई टाल दी गई। अब ये सुनवाई शुक्रवार को होगी। सर्वे के दौरान जहां शिवलिंगनुमा आकृति मिली है वहां गंदगी फैलाने के मामले पर भी सुनवाई होगी। गुरुवार को एक अधिवक्ता के निधन के कारण सुनवाई नही हुई।
सर्वे के सहायक कमिश्नर अजय प्रताप, अधिवक्ता घनश्याम, साधना ने वकालतनामा दाखिल किया इस मामले में वादी हरिशंकर पाण्डेय की तरफ से अजय प्रताप सिंह, घनश्याम मिश्र व साधना सिंह ने वकालतनामा दाखिल किया। बता दें कि इस मामले पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम की अदालत में आज सुनवाई की तिथि तय थी। इसके तहत कोर्ट को इस मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई कर फैसला देना है।
अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने दिया था आवेदन
बता दें कि अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में पिछले दिनों एक आवेदन दे कर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी व उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी सहित सात नामजद और सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने संबंधी आदेश देने की मांग की थी। अदालत में उसी आवेदन पत्र की पोषणीयता पर आज सुनवाई होगी। यहां ये भी बता दें कि अधिवक्ता पांडेय ने अपनी मांग के संदर्भ में अदालत के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए वक्त मांगा था। उनके आग्रह पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए दो जून की तिथि तय की थी।
ये है प्रकरण
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156-3 के तहत अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने अदालत में आवेदन पत्र दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में जहां शिवलिंगननुमा आकृति मिली है वहां हाथ-पैर धोए जाते हैं। थूका जाता है और गंदा पानी बहाया जाता है। इसे जान कर सनातन धर्मी आहत हैं। उन्होंने अपने आवेदन में विपक्ष पर साजिश के तहत उस शिवलिंगनुमा आकृति को को फौवारा कह कर सनातनधर्मियों की आस्था को ठेस पहुंचाई है। आमजन में विद्वेष फैलाने का काम किया है।
अखिलेश व ओवैसी पर ये है आरोप
यहां ये भी बता दें कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया था कि," पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखकर झंडा लगा दो, तो वही भगवान और शिवलिंग है।" वहीं सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के विरुद्ध निरंतर अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं। इनकी बातें जनभावनाओं के खिलाफ हैं।
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी व अन्य पर ये हैं आरोप
अधिवक्ता पांडेय ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी और शहर के उलेमा पर साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। कहा है कि उनके आचरण से हिंदू समाज की भावनाएं आहात हुी है। ऐेसे में सभी आरोपियों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने सहित अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना की जाए। यहां ये भी बता दें कि अदालत जाने से पूर्व अधिवक्ता ने इस संबंध में वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को आवेदन पत्र दिया था और कार्रवाई न होने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया।
आवेदन खारिज करने की थी मांग
उधर मौलाना अब्दुल वाकी और सैयद मोहम्मद यासीन की तरफ से अदालत में आवेदन प्रस्तुत कर अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय के आवेदन पत्र पर आपत्ति जताई है। कहा है कि इस प्रकरण की सुनवाई के लिए कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं बनता है। लिहाजा आवेदन पत्र खारिज कर दिया जाए।