डेंगू का कहर: मंडलीय अस्पताल  कबीरचौरा में लगेगी एसडीपी मशीन, विधायक निधि से जारी हुआ फंड, ऐसे होगा मरीजों को फायदा...

श्री शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय जिला चिकित्सालय में अब एसडीपी मशीन लगाई जा रही है.

डेंगू का कहर: मंडलीय अस्पताल  कबीरचौरा में लगेगी एसडीपी मशीन, विधायक निधि से जारी हुआ फंड, ऐसे होगा मरीजों को फायदा...

वाराणसी, भदैनी मिरर। श्री शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय जिला चिकित्सालय में अब एसडीपी मशीन लगाई जा रही है. इसके लिए पूर्व मंत्री व वाराणसी शहर दक्षिणी के विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने अपने विधायक निधि से फण्ड स्वीकृत कर दिया है. डेंगू रोग इस समय काफी फैला हुआ है. जान बचाने के लिए रोगियों को भारी मात्रा में ब्लड प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है. लेकिन, कबीरचौरा अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में अभी भी पुरानी तकनीकी (कंपोनेंट सेप्रेशन) का इस्तेमाल कर खून से प्लेटलेट्स निकाला जा रहा था. जिसमें घंटों बर्बाद होने के साथ ही काफी ज्यादा डोनरों की जरूरत पड़ रही है. अब यहाँ प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन (एसडीपी) लग जाने से इन सारी परेशानियों से निजात मिल जाएगी और कई गंभीर रोगियों की जान बचाई जा सकेगी. इस मशीन के होने से रोगियों की तेज रिकवरी होगी और एक ब्लड डोनर करीब पांच डोनरों के बराबर उपयोग में लाया जाएगा.

इस मशीन के लग जाने से सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) विधि से अब एक ही डोनर से मरीज की जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स निकालना संभव होगा. पहले इसके लिए तीन से चार डोनर का ब्लड लिया जाता था. फिर प्लेटलेट्स अलग किया जाता था. इस प्रक्रिया में ब्लड के जरिए एक घंटे में प्लेटलेट्स निकलता है. डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर मरीज के शरीर तक पहुंचता है और बाकि ब्लड दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचाया जाता है. खास बात यह भी है कि प्लेटलेट्स देने वाला व्यक्ति 72 घंटे बाद दोबारा प्लेटलेट्स दे सकता है. इस विधि से प्लेटलेट्स चढ़ाने से मरीज में 50 से 60 हजार तक प्लेटलेट्स बढ़ता है. अब तक ब्लड निकालने के बाद रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) विधि से प्लेटलेट्स निकाला जाता था. इसमें कम से कम छह घंटे लगते हैं. एक बार रक्तदान करने के बाद तीन माह बाद दे फिर से रक्तदान किया जा सकता था.

एक यूनिट आरडीपी चढ़ाने पर सिर्फ पांच हजार प्लेटलेट्स काउंट बढ़ते हैं. इस वजह से कई यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाने पड़ते थे.इसके पहले आरडीपी तकनीक से जरूरतमंद मरीज को ब्लड बैंक से उसके मैचिंग ग्रुप का प्लेटलेट्स दे दिया जाता है और उसके बदले में किसी भी ब्लड ग्रुप वाले डोनर से ब्लड डोनेट करा लिया जाता है. एक ग्रुप वाले कई डोनरों का प्लेटलेट्स एक साथ निकालकर दूसरे मरीजों के लिए रख लिया जाता था.

विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने प्लेटलेट कि बढती मांग को देखते हुए तत्काल सीएमओ वाराणसी संदीप चौधरी से वार्ता की और इस अत्याधुनिक मशीन के लिए तत्काल फण्ड जारी कर दिया. इस अत्याधुनिक मशीन आने से मरीजों को काफी फायदा होगा. पेल्टलेट्स का यूज सिर्फ डेंगू मरीजों में ही नहीं बल्कि और भी कई गंभीर बीमारियों में होता है.