ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा का आरोप- समाज को गुहराह और बाटने के लिए हो रहा विश्वकर्मा सम्मेलन, उससे पार्टी विशेष का है सरोकार...
वाराणसी, भदैनी मिरर। देवी- देवताओं, महापुरुषों और धर्म-जाति के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा और सपा अब लखनऊ और दिल्ली विश्वकर्मा सम्मेलन करवाने जा रही है। वह लोग भगवान विश्वकर्मा को भी राजनीति का विषय बना रहे है। उक्त बातें ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने मंगलवार को अपने आवास पर पत्र प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि वोट के लिए लखनऊ और दिल्ली में विश्वकर्मा सम्मेलन आयोजित करना भगवान विश्वकर्मा का राजनीतीकरण कर समाज को धोखा देने वाला काम है। उन्होंने कहा भगवान विश्वकर्मा का वोट के लिए राजनीतिकरण किए जाने से समाज में गहरा आक्रोश है।
विश्वकर्मा पूजा पर्व पर 17 सितंबर को भाजपा व सपा के द्वारा प्रायोजित सम्मेलन वोट की राजनीति के लिए समाज को गुमराह कर बांटने और कमजोर करने का षड्यंत्र है। उन्होंने समाज को याद दिलाते हुए कहा कि यह वही लोग हैं जिन्होंने भगवान विश्वकर्मा को छोटे-छोटे श्रमिकों और मजदूरों का देवता बताया तथा लखनऊ में जाति सम्मेलन के दौरान महापुरुषों के समकक्ष उनकी तस्वीर लगाकर भगवान विश्वकर्मा का घोर अपमान किया तथा उन्हें महापुरुष बताकर विश्वकर्मा पूजा पर्व का घोषित अवकाश रद्द किया।
उन्होंने कहा सपा ने समाज के विकास का वायदा करके इस समाज का वोट लेकर कई बार सरकार बनाया उसके बाद सारे वादे को भुला कर धोखा दिया तथा उनके जाति के लोगों द्वारा इस समाज का लगातार सर्वाधिक उत्पीड़न किया जाता रहा है। समाज से इनके छद्म रूप को पहचानने और सावधान रहने की जरूरत बताते हुए कहा कि दिल्ली में विश्वकर्मा सम्मेलन के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दिवस समारोह आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा विश्कर्मा पूजा पर्व 17 सितंबर को समस्त विश्वकर्मा वंशी अपने अपने प्रतिष्ठानों, घरों, कस्बा, गांव और नगर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। इसलिए राजनीतिक दलों द्वारा प्रायोजित इस तरह के सम्मेलनों में उनका जाना असंभव है। यह सम्मेलन पार्टी के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने समाज को सावधान करते हुए कहा कि विश्वकर्मा पूजा के नाम पर आयोजित किया जाने वाला यह सम्मेलन व्यक्ति विशेष द्वारा अपने निजी राजनीतिक लाभ के लिए समाज को धोखा देने तथा गुमराह करने वाला वोट की राजनीति है। इस तरह के सम्मेलनों से विश्वकर्मा वंशियो का कोई सरोकार नहीं है। विश्वकर्मा समाज की पहचान परंपरा और आस्था का प्रतीक विश्वकर्मा पूजा पर्व का सार्वजनिक अवकाश घोषित होने तक महासभा द्वारा चलाया जा रहा आंदोलन अनवरत जारी रहेगा। इस अवसर पर श्रीकांत विश्वकर्मा, नंदलाल विश्वकर्मा, चंद्रशेखर विश्वकर्मा, दीनदयाल विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्मा, भैरव विश्वकर्मा, मोहित विश्वकर्मा सहित पदाधिकारी उपस्थित थे।