स्वरवेद महामंदिर से PM मोदी बोले- काशी का विकास कर रहा सबको आकर्षित, विपरीत समय में होता है संतों का अवतरण, बेटी और जल संरक्षण का दिलाया संकल्प...
PM Modi said from the Swarved Mahamandir - everyone is attracted to the development of Kashi the descent of saints happens in opposite times स्वरवेद महामंदिर से PM मोदी बोले- काशी का विकास कर रहा सबको आकर्षित, विपरीत समय में होता है संतों का अवतरण, बेटी-जल संरक्षण का दिलाया संकल्प...
वाराणसी, भदैनी मिरर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों संग बैठक कर चौबेपुर के उमरहा स्थित स्वरवेद महामंदिर धाम के सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान के 98वें वार्षिकोत्सव एवं 5101 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ कार्यक्रम में शामिल होने पहुचें। उनके साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, केंद्रीय मंत्री महेन्द्रनाथ पांडेय, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर शामिल रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर धाम पहुचंते ही परिसर के धामों का अवलोकन किया। जिसके बाद स्वरवेद महामंदिर के आचार्यों ने स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम भेंट कर स्वागत किया। आचार्य स्वतंत्र देव सिंह ने मंच से सबका स्वागत किया। उनके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना उद्बोधन दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा की आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण योग को वैश्विक मान्यता मिली है। भारत की संस्कृति और सभ्यता को जो आज वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है, उससे हर भारतीय गौरान्वित है।
विपरीत समय में अवतरित होते है संत
प्रधानमंत्री स्वरवेद महामंदिर धाम में अनुयायियों को सम्बोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सद्गुरु सदाफलदेव जी ने समाज के जागरण के लिए विहंगम योग को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यज्ञ किया था। आज वह संकल्प बीज हमारे बीच एक वटवृक्ष के रूप में हमारे सामने खड़ा है। कल काशी ने भव्य विश्वनाथ धाम महादेव के चरणों में अर्पित किया, और आज विहंगम योग संस्थान का ये अद्भुत आयोजन हो रहा है। इस दैवीय भूमि पर ईश्वर अपनी अनेक इच्छाओं की पूर्ति के लिए संतों को ही निमित्त बनाता है। आज गीता जयंती का पुण्य अवसर है। आज के ही दिन कुरुक्षेत्र की युद्ध की भूमि में जब सेनाएं आमने सामने थीं, मानवता को योग, आध्यात्म और परमार्थ का परम ज्ञान मिला था। हमारा देश इतना अद्भुत है कि, यहाँ जब भी समय विपरीत होता है, कोई न कोई संत-विभूति, समय की धारा को मोड़ने के लिए अवतरित हो जाती है। ये भारत ही है जिसकी आज़ादी के सबसे बड़े नायक को दुनिया महात्मा बुलाती है। आज देश आजादी की लड़ाई में अपने गुरुओं और तपस्वियों के बलिदान को नमन कर रहा है।
पर्यटकों को एयरपोर्ट से लेकर पूरा शहर बदला नजर आता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुयायियों को सम्बोधित करते वक्त विकास कार्यों की भी चर्चा की। पीएम ने कहा कि जब हम बनारस के विकास की बात करते हैं तो इससे पूरे देश के विकास का रोड-मैप भी बन जाता है। देश भर से आप काशी में अपनी शृद्धा, विश्वास, उर्जा और असीम संभावनाएं लेकर आए हैं। जब आप काशी से जाएंगे तो बहुत कुछ लेकर जाएंगे। आज जब विदेश से लोग काशी में आते हैं तो उन्हें एयरपोर्ट से लेकर शहर तक सब बदला-बदला सा दिखता है। काशी में विकास का लाभ पर्यटन के साथ-साथ कला क्षेत्र को भी मिलेगा। काशी के कौशल को नई ताकत मिल रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नई सुविधाओं के साथ काशी मेडिकल हब के रूप में विकसित हो रहा है। पीएम ने कहा कि कल रात 12-12.30 बजे बाद जैसे ही मुझे अवसर मिला, मैं अपनी काशी में जो काम चल रहा है, जो काम हुए हैं उन्हें दिखने निकल पड़ा था। काशी में कितने ही लोगों से मेरी बात हुई। स्टेशन का भी कायाकल्प हो चुका है। बनारस देश को नई दिशा दे रहा है। वर्ष 2014-15 के मुकाबले 2019-20 में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी तक हो गई है और हवाई पर्यटकों की संख्या 30 लाख तक पहुंच गई है। अगर इच्छाशक्ति हो तो परिवर्तन आ सकता है। वर्ष 2019-20 कोरोना कालखंड में अकेले बाबतपुर एयरपोर्ट से ही 30 लाख से ज्यादा लोगों का आना-जाना हुआ है।
बेटी और जल संरक्षण का दिलाया संकल्प
स्वाधीनता संग्राम के समय सद्गुरु ने हमें मंत्र दिया था- स्वदेशी का। आज उसी भाव में देश ने अब ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ शुरू किया है। आज देश के स्थानीय व्यापार-रोजगार को, उत्पादों को ताकत दी जा रही है, लोकल को ग्लोबल बनाया जा रहा है। हमारा गौ-धन हमारे किसानों के लिए केवल दूध का ही स्रोत न रहे, बल्कि हमारी कोशिश है कि गौवंश प्रगति के अन्य आयामों में भी मदद करे। आज देश गोबरधन योजना के जरिए बायो-फ्यूल को बढ़ावा दे रहा है, ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दे रहा है। मैं आज आप सभी से कुछ संकल्प लेने का आग्रह करना चाहता हूं। ये संकल्प ऐसे होने चाहिए जिसमें सद्गुरु के संकल्पों की सिद्धि हो और जिसमें देश के मनोरथ भी शामिल हों। ये ऐसे संकल्प हो सकते हैं जिन्हें अगले दो साल में गति दी जाए, मिलकर पूरा किया जाए। एक संकल्प ये हो सकता है- हमें बेटी को पढ़ाना है, उसका स्किल डेवलपमेंट भी करना है। अपने परिवार के साथ साथ जो लोग समाज में जिम्मेदारी उठा सकते हैं, वो एक दो गरीब बेटियों के स्किल डेवलपमेंट की भी ज़िम्मेदारी उठाएं। एक और संकल्प हो सकता है पानी बचाने को लेकर। हमें अपनी नदियों को, गंगा जी को, सभी जल स्रोतों को स्वच्छ रखना है।