पैसे के हेरफेर में SIT या CBCID जांच करवाने की मांग, एक अफसर पर ₹60 लाख ऐंठने का आरोप...
अब कोर्ट में भेलूपुर पुलिस ने गैर जमानती वारंट जारी करने की अर्जी दी है.भेलूपुर थानाध्यक्ष ने बताया कि अजीत मिश्रा सहित अन्य आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं.
वाराणसी, भदैनी मिरर। भेलूपुर के शंकुलधारा पोखरे से मिले पैसे के हेरफेर के मामले में जैसे-जैसे दिन बीतता जा रहा है, वैसे-वैसे कई नए रहस्य खुलते जा रहे है. पुलिस ने गुजरात के व्यापारी विक्रम सिंह की तहरीर पर डकैती का मुकदमा लिखा था, अब तक इस मामले में कुल तीन भेलूपुर पुलिस ने दिल्ली के कनाट प्लेस से गिरफ्तार शिवकुटी प्रयागराज अगला थाना क्षेत्र के सलोरी निवासी घनश्याम मिश्रा, कादीपुर (सुल्तानपुर) थाना क्षेत्र के बुढ़ाना निवासी प्रदीप पांडेय, रानीगंज (प्रतापगढ़) थाना क्षेत्र के मो. वसीम और मंटू राय को कोर्ट में पेश किया जा चुका है. वहीं अब तक इस मामले के मुख्य आरोपी अजीत मिश्रा 'गुरुजी' को पुलिस तलाश नहीं पाई है. अब कोर्ट में भेलूपुर पुलिस ने गैर जमानती वारंट जारी करने की अर्जी दी है.भेलूपुर थानाध्यक्ष ने बताया कि अजीत मिश्रा सहित अन्य आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं. गैर जमानती वारंट मिलने के बाद अजीत मिश्रा के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी. कुर्की की अनुमति भी अदालत से मांगी जाएगी.
पुलिस कमिश्नर से लगाई गुहार
उधर, मुख्य आरोपी अजीत मिश्रा के पिता विमलेश मिश्रा ने पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन को पत्र लिखकर कहा है की इस पूरे प्रकरण की SIT या सीबीसीआईडी से जांच कराई जानी चाहिए. विमलेश मिश्रा ने इस प्रकरण में एक अफसर की भूमिका को भी संदिग्ध बताया है. आरोप लगाया है की लूट के माल से 60 लाख उस अफसर ने हड़प लिए. पुलिस कमिश्नर ने विमलेश मिश्रा को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है.
पैसे फंसने की बात कहकर मांगी मदद
अजीत के पिता विमलेश मिश्रा ने बताया की गिरफ्तार घनश्याम मिश्र ने फोन कर बेटे अजीत मिश्र से मदद मांगी थी. इस दौरान अजीत मिश्र को उचित कमीशन देने की भी बात कही गई. 29 मई की रात तत्कालीन थाना प्रभारी दल-बल के साथ बैजनत्था स्थित व्यापारी के कार्यालय पहुंचे. जहां दो करोड़ रुपए मिले, जिसमें घनश्याम ने एक करोड़ अपना बताया और लेकर निकल गया. जिसके बाद वह पैसे लेकर थाने पहुंचे.
ऐसे बिगड़ा बंटवारे का खेल
सूत्रों के अनुसार बर्खास्त प्रभारी निरीक्षक ने कई दरोगाओं सहित थाने के विश्वस्त आदमियों को रविंद्रपुरी एक होटल में बुलाया. जहां पहले पैसे की गिनती की गई. पैसे के मिलान के बाद बर्खास्त एक दरोगा को ₹5 लाख दिए जाने लगे तो वह ₹ 25लाख की डिमांड करने लगा. जिसके बाद बात बिगड़ी और उसने एक अफसर को जानकारी दी. जिसके बाद अफसर ने जिम्मेदार लोगों को बुलाया और पैसे रखवा लिए. उसके बाद अजीत, घनश्याम और उसके सहयोगियों को थाने बुलाया गया और 60 लाख रुपए वसूल कर उन्हे थाने से जाने दिया गया. जिसके बाद 31 मई को लावारिस कार की डिग्गी से ₹ 92लाख 94 हजार रुपये की बरामदगी की कहानी गढ़ी गई.