काशी के कोने-कोने से निकली शिव बारात, काशीवासी भूत-पिचास, श्रृंगी-भृंगी के रुप में बने बाराती...

काशी के कोने-कोने से निकली शिव बारात, काशीवासी भूत-पिचास, श्रृंगी-भृंगी के रुप में बने बाराती...

वाराणसी/भदैनी मिरर। अलमस्त और अपने फक्कड़पन के लिए प्रसिद्ध तीनों लोकों से न्यारी काशी नगरी में देवाधिदेव महादेव की बारात धूम-धाम से निकली। यूं ही नहीं कहा जाता है कि काशी के कण-कण में शिव बसे हैं। इसका जीता-जागता प्रमाण महाशिवरात्रि को देखने को भी मिलता है।  पूरी काशी शिव के रंग में रंगी हुई नजर आती है। हर साल तरह इस साल भी बाबा की अद्भुत बारात काशी के हर गली-मोहल्ले से निकाली गई। जिसके साक्षी न सिर्फ मनुष्य और देवी देवता बल्कि भूत, प्रेत, जिन्नाद, और जानवर भी बने। तिलभांडेश्वर, बैजनत्था, मैदागिन और केदार मंदिर समेत शहर के विभिन्न स्थानों से निकली शिव बारात।

महिलाएं करती हैं परछन

जिस तरह दूल्हा जब बारात लेकर निकलता है, तो घर की महिलाएं दूल्हे का परछन करती हैं, ठीक उसी तरह काशी में बाबा की बारात भी जब माता गौरा को लेने उनके द्वार पहुंचती है तो महिलाएं उनका परछन करती हैं। भोले शंकर को औघर दानी भी कहा जाता है, इसलिए उनके बारात में भूत, प्रेत, पिशाच सभी शरीक होते हैं।

हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ शिवमय हुई काशी


सड़कों पर जब बाबा अपनी बारात लेकर निकलते हैं तो हर-हर बम-बम के उद्घोष से पूरी काशी गूंज उठती है। मान्यताएं ऐसी है कि बाबा शिवरात्रि के ही दिन जब वापस लौटे थे तो होली खेले थे, इसीलिए आज के दिन बाबा को रंग भी अर्पित किया जाता है और शिवभक्त भी उनके साथ होली खेलते हैं।