विद्वत सम्मेलन में स्वामी प्रखर का दावा लक्षचण्डी यज्ञ के पूर्णाहुति से पहले होगा कोरोना का शमूल नाश...

In the scholarly conference Swami Prakhar claims that the Shamul of Corona will be destroyed before the completion of Lakshchandi Yagyaविद्वत सम्मेलन में स्वामी प्रखर का दावा लक्षचण्डी यज्ञ के पूर्णाहुति से पहले होगा कोरोना का शमूल नाश...

विद्वत सम्मेलन में स्वामी प्रखर का दावा लक्षचण्डी यज्ञ के पूर्णाहुति से पहले होगा कोरोना का शमूल नाश...

वाराणसी,भदैनी मिरर। सभी क्षेत्रों में भारत की भूमिका अग्रणी है, जहां तक संस्कृति की बात है तो भारत को पूरे विश्व में अपनाया जाता है, सनातन परंपरा में ही पर्यावरण की पूजा करने का विधान और उससे प्रेम करने की सीख दी जाती है। उक्त बातें संकुलधारा पोखरे पर चल रहे 51 दिवसीय लक्षचण्डी यज्ञ के सोलहवें दिन विद्वत सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहीं। उन्होंने कहा कि विद्वान श्रेष्ठ जरुर होता है मगर विद्वानों का सम्मान करने वाले सर्वश्रेष्ठ होता है। इसके बाद पद्मभूषण डॉ ए. के त्रिपाठी ने कहा कि महायज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों से ही भारतीय संस्कृति संरक्षित हो रही है। 


इस दौरान स्वामी प्रखर जी ने कहा कि भारत अब कोरोनामुक्ति की ओर हो अग्रसर हो चुका है। इसी महामारी कोरोना के संकट के शमूल नाश के लिए काशी की धरती पर महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही  इस सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य संसार में व्याप्त दैहिक, दैविक, भौतिक त्रिविध तापो का शमन है। जिसमें यह याग (यज्ञ) प्रमुख है क्योंकि आज इस यज्ञ के माध्यम से ही संपूर्ण देश को शांति प्राप्ति होगी। स्वामी जी ने बताया कि इस यज्ञ में 20 दिनों के अंदर लगभग 30 हजार पाठ हो चुके हैं और इसका परिणाम भी दिखने लगा है। भारत कोरोनामुक्ति की ओर अग्रसर हो चुका है। इस यज्ञ के पूर्णाहुति से पूर्व कोरोना का शमूल नाश भी होगा।

इस अवसर पर पद्मश्री प्रो. रामयत्न शुक्ल, पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो. गोपबंधु मिश्र, प्रो. कौशलेंद्र पांडेय, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. जयप्रकाश नारायण त्रिपाठी, प्रो. सदाशिव द्विवेदी, प्रो. रामनारायण द्विवेदी, डॉ रमाकांत पांडेय, डॉ दिव्यचैतन्य ब्रह्मचारी, डॉ गणेश दत्त शुक्ल, डॉ रविन्द्र पाठक, डॉ शशिशेखर चतुर्वेदी, पं गोविंद पराशर, डॉ अनुपम तिवारी आदि विद्वतजनों ने अपने विचार व्यक्त किये। इनके साथ ही विशेष रूप से 125 वर्षीय द्रोणाचार्य जी उपस्थित रहे। सभी विद्वतजनों को अंगवस्त्रम प्रदान कर  सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में आचार्य सुभाष तिवारी, डॉ सुनील मिश्रा समेत अन्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।