प्रोफेसर मनोरंजन शाहू भी पद्मश्री अवार्ड से हुए सम्मानित गए, मेडिकल क्षेत्र में है अहम योगदान... 

काशी के मेडिकल विभाग के विद्वान प्रोफेसर मनोरंजन साहू को भी सरकार की ओर से पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया है. इसकी सूचना मिलते ही बीएचयू के आयुर्वेद विभाग में खुशी का माहौल है.

प्रोफेसर मनोरंजन शाहू भी पद्मश्री अवार्ड से हुए सम्मानित गए, मेडिकल क्षेत्र में है अहम योगदान... 

वाराणसी, भदैनी मिरर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित पद्म अवार्ड की सूची में वाराणसी से ख्यात क्षारसूत्र चिकित्सक प्रोफेसर मनोरंजन साहू का भी नाम शामिल है. प्रोफेसर मनोरंजन साहू काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के आईएमएस आयुर्वेद से सेवानिवृत्त है. उन्हे आयुर्वेद के बीएचयू क्षेत्र सूत्र विभाग के संस्थापकों में एक माना जाता है. प्रोफेसर साहू को 'पद्मश्री ' मिलने की घोषणा जैसे हुई  आयुर्वेद विभाग के छात्र छात्राओं के आलावा चिकित्सकों में खुशी की लहर दौड़ गई. प्रोफेसर साहू आयुर्वेद से ही डाक्टर ऑफ मेडिसिन और पीएचडी है.

प्रोफेसर मनोरंजन साहू का जन्म पश्चिम बंगाल के जिला मिदनापुर में हुआ. उन्होंने राज्य आयुर्वेदिक कॉलेज कलकत्ता से ग्रेजुएशन वर्ष 1977 में पूरी की. डाक्टर ऑफ मेडिसिन और पीएचडी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में वर्ष 1982 और 1986 में किया. प्रोफेसर साहू का आयुर्वेद के क्षेत्र में एक बेहतरीन योगदान है. प्रोफेसर मनोरंजन साहू आयुर्वेद विभाग के शल्य तंत्र विभाग में अपनी सेवाएं 1993 में देनी शुरू की. वर्ष 2003 से 2018 तक वह शल्य तंत्र विभाग में बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हुए.

छप चुके है 32 रिसर्च पेपर

प्रोफेसर मनोरंजन साहू का 34 वर्षों से अधिक का शिक्षण और अनुसंधान का अनुभव है. उनके 32 शोध पत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में छप चुके है. इस कार्यों को लेकर विभिन्न प्लेटफार्म पर पहले भी कई सम्मान मिल चुके है.

आयुर्वेद के शल्य चिकित्सकों का है सम्मान

पद्मश्री मिलने पर प्रोफेसर मनोरंजन साहू ने कहा की यह सम्मान आयुर्वेद के शल्य चिकित्सा और चिकित्सकों को समर्पित है, या यूं कहे की यह सम्मान भी उन्ही का है. मॉडर्न मेडिसिन के मुकाबले आयुर्वेद मेडिसिन की अक्सर उपेक्षा ही की जाती है, अपितु यह सम्मान देकर सरकार ने बता दिया की सरकार कोई भेद नहीं करती. इससे आयुर्वेद विभाग से जुड़े चिकित्सकों का आत्मबल बढ़ेगा और वह नए शोध और शल्य पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहेंगे.