प्रदेश स्तरीय हृदयाघात उपचार परियोजना की बैठक व प्रशिक्षण BHU ट्रामा सेंटर में 26 मई को, UP के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य करेंगे अध्यक्षता...

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार (26 मई) को बीएचयू ट्रामा सेंटर में आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के तहत हृदयाघात से बचाव के लिए ईसीजी व प्रबोलिसिस थेरेपी को लेकर प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा.

प्रदेश स्तरीय हृदयाघात उपचार परियोजना की बैठक व प्रशिक्षण BHU ट्रामा सेंटर में 26 मई को, UP के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य करेंगे अध्यक्षता...

वाराणसी, भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार (26 मई) को बीएचयू ट्रामा सेंटर में आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के तहत हृदयाघात से बचाव के लिए ईसीजी व प्रबोलिसिस थेरेपी को लेकर प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. इस कार्यशाला में वाराणसी समेत प्रदेश के 18 जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं वाराणसी के चिकित्सक व स्टाफ नर्स प्रतिभाग करेंगे जहां हृदयाघात उपचार परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) के बारे में विस्तृत चर्चा होगी. विभिन्न बिन्दुओं व विषयों पर संबाद किया जाएगा. यह जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर संदीप चौधरी ने गुरुवार सुबह 11 अपने कार्यालय में दी. उन्होंने बताया की चिकित्सकों व स्टाफ नर्ग को ईसीजी व अंबोलिनिस थैरेपी के बारे में भी जानकारी दी जाएगी.

सीएमओ ने कहा कि हृदयाघात उपचार परियोजना से जिले में हार्टअटैक के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी. वाराणसी जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत जिले के मण्डलीय एवं जिला चिकित्सालयों सहित सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में दिल के मरीजों को इलाज की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मरीजों की जांच के लिए सभी चिकित्सा इकाइयों पर ईसीजी मशीनों के साथ अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गये हैं. चिकित्सक व कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है यहां पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे दूसरे जिलों में लागू किया जाएगा.


सीएमओ ने कहा कि प्रदेश में बहु विषयक अनुसंधान इकाई (एमडीआरयू) आईएमएस बीएचयू में है. यहां रिसर्च के लिए विशेषज्ञ तैनात हैं देश के जिन राज्यों में एमडीबार है, वहां पर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इसी वजह से वाराणसी को भी यह सुविधा मिली है. ग्रामीण क्षेत्र में हार्टअटैक के बाद उच्च शिक्षा संस्थान आईएमएस बीएचयू तक पहुंचने से पहले ही लोगों की मौत हो जाती है या गंभीर हो जाते हैं. इस नई व्यवस्था में लोग सीधे नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाएंगे जहां ईसीजी होगी. इसकी रिपोर्ट कार्डियोलॉजी विभाग आईएमएस बीएचयू सुपर स्पेशलिटी के विशेषज्ञों को भेजकर उनके निर्देश के अनुसार इलाज किया जाएगा. उन्होंने बताया कि थ्रोम्बोलिसिस या थ्रोम्बोलाइटिक थैरेपी रक्त वाहिकाओं में खतरनाक बह्नों को भंग करने, रक्त के प्रवाह में सुधार करने और अंगों और ऊतकों को नुकसान को रोकने के लिए किया जाने वाला एक प्रकार का उपचार है. थ्रोम्बोलिसिस में रक्त वाहिका के अंदर बनने वाले रक्त के बड़े को तोड़ने या भंग करने के लिए कुछ दवाओं का उपयोग शामिल होता है। इस प्रक्रिया के बिना रक्त के बड़े बढ़ सकते हैं, ढीले हो सकते हैं, और ऊतकों और अंगों को रक्त की आपूर्ति में कटौती कर सकते हैं. इससे दिल का दौरा, स्ट्रोक (मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है), और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. रोगी की स्थिति के आधार पर ब्रोम्बोलिसिस का उपयोग अनुसूचित उपचार के रूप में या आपात स्थिति में किया जा सकता है.

नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा ने बताया कि मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (एमआई) अर्थात दिल का दौरा तब होता है जब हृदय की कोरोनरी धमनी में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या रुक जाता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों को नुकसान होता है. सबसे आम लक्षण सीने में दर्द या बेचैनी है जो कधे, हाय, पीठ, गर्दन या जबड़े तक जा सकता है. अक्सर यह छाती के केंद्र या बाई ओर होता है और कुछ मिनटों से अधिक समय तक रहता है. बेचैनी कभी-कभी नाराजगी की तरह महसूस हो सकती है.अन्य लक्षणों में सांस की तकलीफ, मतली, बेहोशी महसूस करना, ठंडा पसीना या थकान महसूस करना शामिल हो सकते है. लगभग 30 प्रतिशत लोगों में असामान्य लक्षण होते हैं. महिलाएं एवं मधुमेह के रोगी कभी कभी सीने में दर्द के बिना उपस्थित होती हैं  और इसके बजाय उन्हें गर्दन में दर्द, बांह में दर्द या थकान महसूस होती है. 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में लगभग पाँच प्रतिशत में लक्षणों का बहुत कम या कोई इतिहास नहीं है. एक एमआई दिल की विफलता, एक अनियमित दिल की धड़कन कार्डियोजेनिक शॉक या कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है.

इनकी रहेगी मौजूदगी 

इस कार्यशाला में मुख्य संरक्षक की भूमिका में बीएचयू के कुलसचिव व संरक्षक के रूप में बीएचयू के अधिशिक्षक (रेक्टर) मौजूद रहेंगे. गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में आईएमएस बीएचयू के निदेशक, अनुसंधान के डीन, सरसुंदर लाल चिकित्सालय के अधीक्षक, ट्रामा सेंटर के प्रभारी, टीएसयू मेडिकल हेल्थ उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यकारी निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी व हार्ट इंडिया चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौजूद रहेंगे.

आईसीएमआर विशेषज्ञ के रूप में केजीएमयू लखनऊ के प्रो डॉ एसके द्विवेदी, आईजीएमसी शिमला के प्रो डॉ पीसी नेगी, एनसीडी डिवीजन के वैज्ञानिक डॉ. मीनक्षी शर्मा व डॉ रूपा एस मौजूद रहेंगी. मोडरेटर के रूप में हृदयरोग विभागाध्यक्ष समेत कई विभागों के विभागाध्यक्ष, चिकित्सक व विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे. संयोजक के रूप में आईएमएस बीएचयू में हृदयरोग विभाग के प्रोफेसर व स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक डॉ धर्मेंद्र जैन मौजूद रहेंगे. सह संयोजक के रूप में जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, सह नोडल अधिकारी डॉ शिव शक्ति द्विवेदी, डॉ अतुल सिंह व डॉ पायल सिंह मौजूद रहेंगी.