वाराणसी, भदैनी मिरर। हमारे देश में सिस्टम से लडना मतलब लोहे के चने चबाना जैसा है. लेकिन दूसरों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने वाला पत्रकार यदि खुद की लड़ाई लड़ना शुरु कर दे तो किसी भी तानाशाह नौकरशाहों को पानी पिला सकता है. इसका उदाहरण पेश किया है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के महराजगंज के वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश (Senior journalist Manoj Tibrewal Akash) ने. तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय ने 185 करोड़ की लागत से NH-730 के निर्माण के भ्रष्टाचार की शिकायत की. जिसके बाद वह अफसरों की नजर में गड़ने लगे. 13 सितंबर 2019 को मोहल्ला हमीद नगर में स्थित उनके पैतृक घर को छावनी में बदलकर बिना समय दिए, बिना किसी नोटिस और बिना किसी मुआवजे के बुलडोजर से नेस्तनाबूद कर दिया गया.
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश चार पन्ने का शिकायत पत्र सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को लिखा. देश की सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतः मामले का संज्ञान लिया और उसे रिट में बदलकर सुनवाई शुरू की. व्यापक सुनवाई के बाद 6 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने ऐतिहासिक फैसला (historical decision) सुना दिया. कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार के मकान को जायज मानते हुए मकान को ध्वस्त करना गैर-कानूनी बताया. कोर्ट ने कहा यह असंवैधानिक कृत्य है. कोर्ट ने राज्य सरकार पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया और इसे तत्काल याचिकाकर्ता मनोज टिबड़ेवाल आकाश को देने का आदेश दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक मकान व दुकानों के ध्वस्तीकरण का मुआवजा देने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि गैर-विधिक ध्वस्तीकरण के समस्त दोषियों के विरुद्ध डीजीपी यूपी और मुख्य सचिव एफआईआर पंजीकृत करें. पूरे मामले की विवेचना यूपी-सीबीसीआईडी से करवाएं. याचिकाकर्ता मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने कहा कि मामले में जांच पारदर्शी नहीं हुई तो वह फिर सुप्रीम कोर्ट जायेंगे. सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद महराजगंज के कोतवाली थाने में 30 दिसंबर को आजीवन कारावास जैसी गंभीर धाराओं में आईएएस-पीसीएस, पीपीएस, PWD इंजीनियर सहित 26 नामजद और अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
देखें पूरी एफआईआर