Home हेल्थ डिजिटल युग में कैद होती युवा पीढ़ी : कैंसर की चपेट में इस कारण तेजी से आ रहे टीनएजर्स, जानें कैसे करें बचाव

डिजिटल युग में कैद होती युवा पीढ़ी : कैंसर की चपेट में इस कारण तेजी से आ रहे टीनएजर्स, जानें कैसे करें बचाव

by Ankita Yadav
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World Cancer Day : आज के मॉर्डन लाइफस्टाइल और टेक्नोलॉजी ने हमारी दिनचर्या को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। सुबह आंख खुलने से लेकर रात को सोने तक, हमारा समय स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य डिजिटल उपकरणों के बीच बीतता है। अगर कुछ देर के लिए भी इनसे दूरी बनानी पड़े, तो ऐसा लगता है जैसे हमारी जिंदगी का कोई जरूरी हिस्सा गायब हो गया हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस डिजिटल निर्भरता के कारण हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है? लगातार स्क्रीन देखने, तनाव और खराब लाइफस्टाइल की वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले रही हैं, जिनमें कैंसर का बढ़ता खतरा भी शामिल है। आइए वर्ल्ड कैंसर डे (World cancer Day) पर जानें युवाओं में कैसे तेजी से कैंसर का खतरा बढ़ रहा और डिजिटल दुनिया का उनपर क्या प्रभाव पड़ रहा, इससे कैसे बचा जा सकता है।

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युवाओं में कैंसर का बढ़ता खतरा

पहले कैंसर को ज्यादा उम्र के लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह तेजी से युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। रिसर्च बताती हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम, तनाव, और असंतुलित खानपान के कारण युवा पीढ़ी में कैंसर का खतरा लगातार बढ़ रहा है। स्क्रीन की नीली रोशनी मेलाटोनिन (नींद हार्मोन) के उत्पादन को बाधित कर सकती है, जिससे स्तन और प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

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स्क्रीन टाइम और कैंसर का संबंध

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आज के डिजिटल दौर में घंटों स्क्रीन के सामने बिताना एक आम बात हो गई है, लेकिन यह आदत धीरे-धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रही है।

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  • लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहने से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे मोटापा और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
  • स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी शरीर की प्राकृतिक नींद प्रक्रिया को बाधित कर सकती है, जिससे मेलाटोनिन का स्तर कम हो जाता है। यह हार्मोन कैंसर कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करने में मदद करता है, लेकिन इसकी कमी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है।
  • लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग करने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं रह पाता।

तनाव और कैंसर के बीच गहरा संबंध

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक सामान्य बात हो गई है। पढ़ाई, नौकरी, सामाजिक दबाव और आर्थिक चिंताओं के कारण युवा लगातार तनाव में रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुराना (क्रॉनिक) तनाव कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है?

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  • तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। इससे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की शरीर की क्षमता प्रभावित होती है।
  • लगातार तनाव की स्थिति शरीर में सूजन को बढ़ावा देती है, जो कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने और फैलने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है।
  • तनाव के कारण कई लोग अस्वास्थ्यकर आदतें अपना लेते हैं, जैसे धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन और जंक फूड खाना। ये सभी आदतें कैंसर के जोखिम को और बढ़ा सकती हैं।

डिजिटल निर्भरता से बचने और स्वास्थ्य को बनाए रखने के उपाय

  • स्क्रीन टाइम सीमित करें: रोजाना स्क्रीन का उपयोग सीमित करें और हर घंटे 5-10 मिनट का ब्रेक लें।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम और अच्छी नींद को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
    -तनाव कम करने की कोशिश करें: योग, ध्यान और समय-समय पर ब्रेक लेकर मानसिक शांति बनाए रखें।
  • सोशल मीडिया से दूरी बनाएं: डिजिटल दुनिया से जुड़ना जरूरी है, लेकिन सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय बिताने से बचें।

आधुनिक जीवनशैली और डिजिटल उपकरणों का अधिक उपयोग हमारी सेहत के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। स्क्रीन टाइम और तनाव के कारण युवाओं में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में, जरूरी है कि हम अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं और एक हेल्दी रूटीन अपनाएं ताकि आने वाले समय में बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके।

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