वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के हृदय रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ओम शंकर ने हाल ही में विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। गुरुवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन पर गंभीर आरोप लगाए, जिनमें नियुक्तियों में मनमानी, जातिगत भेदभाव और कानूनी प्रक्रियाओं के उल्लंघन की बात कही गई।
मनमानी नियुक्तियां और आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग
प्रो. ओम शंकर ने आरोप लगाया कि बीएचयू के कुलपति ने बीएचयू अधिनियम के क्लॉज 7(c)5 के तहत आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए नियमित और गैर-आपातकालीन नियुक्तियों को उचित ठहराया। यह कदम राष्ट्रपति (बीएचयू के विजिटर) द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से जारी आदेशों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने प्रो. जैन पर अपने करीबी लोगों को नियुक्त करने के लिए फर्जी आपातकालीन परिस्थितियों का सहारा लेने का आरोप लगाया है। प्रो. ओम शंकर ने कहा कि, कुलपति ने नियुक्तियों में आरक्षण रोस्टर को लागू करने की अनिवार्यता का पालन नहीं किया, जिससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के योग्य उम्मीदवारों को लाभ नहीं मिल सका।
उन्होंने आरोप लगाया कि हृदय रोग विभाग में चार में से तीन कैंडिडेट को अयोग्य ठहरा दिया गया, जबकि अधिकतर आवेदक IMS BHU से ही MD, DM कर चुके थे। इस वजह से महत्वपूर्ण पद जानबूझकर खाली रखे गए, जिससे मरीजों को सेवाएं नहीं मिल पाईं और योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को रोका गया।
हृदय रोग विभाग में भेदभावपूर्ण व्यवहार
ओम शंकर ने आरोप लगाया कि हृदय रोग विभाग में 75% से अधिक शिक्षकों के पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं, जिससे मरीजों को महत्वपूर्ण सेवाओं से वंचित किया गया है। यह कदम योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को रोकने और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक उद्देश्यों को पूरा करने में विफलता को उजागर करता है। प्रो. जैन ने भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर करते हुए वैधानिक नियमों की अनदेखी की है।
गैरकानूनी कार्रवाइयों का औचित्य
कुलपति ने कार्यकारी परिषद (Executive Council) की स्वीकृति की आवश्यकता को दरकिनार कर नियुक्तियों को “आपातकालीन” प्रावधानों के तहत सही ठहराया। प्रो. ओम शंकर ने इसे बीएचयू के कानूनों का उल्लंघन और संस्थान के प्रशासन को कमजोर करने वाला कदम बताया।
न्याय और कार्रवाई की मांग
प्रो. ओम शंकर ने मांग की कि बीएचयू की इन गंभीर अनियमितताओं की तुरंत निष्पक्ष जांच की जाए और सुधारात्मक कार्रवाई की जाए। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग कर अपील की है कि प्रो. सुधीर कुमार जैन के कार्यकाल के दौरान की गई नियुक्तियों की निष्पक्ष जांच की जाए। यूजीसी और सरकारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदारी तय की जाए। इसके अलावा आरक्षण नीतियों का पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि समानता और योग्यता को प्राथमिकता दी जा सके।