वाराणसी। इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट – साउथ एशिया रीजनल सेंटर (ISARC), वाराणसी ने हाल ही में स्विस राजदूत श्रीमती माया तिस्साफी का स्वागत किया। उनके साथ स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (SDC) इंडिया के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख फिलिप सास और स्विट्जरलैंड दूतावास के संस्कृति और कानूनी मामलों के प्रमुख श्री सिमोन शेफर भी शामिल थे। इस दौरे का उद्देश्य टिकाऊ कृषि और जलवायु-लचीली धान उत्पादन प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग के नए आयाम तलाशना था।
अत्याधुनिक सुविधाओं का अवलोकन
ISARC के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने मेहमानों का स्वागत किया और उन्हें संस्थान की उन्नत तकनीकी सुविधाओं का परिचय दिया। प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न शोध केंद्रों और प्रयोगशालाओं का दौरा किया, जिनमें शामिल थे:
- ग्रीनहाउस गैस प्लॉट और पुनर्योजी कृषि केंद्र: जलवायु-अनुकूल खेती के प्रयोग।
- मशीनीकरण और स्पीड ब्रीड लैब: उन्नत कृषि तकनीक और तेज़ फसल विकास के समाधान।
- जीआईएस, पौध और मृदा प्रयोगशाला: वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक उपकरण।
- एड-टेक स्टूडियो: प्रशिक्षण और ज्ञान साझा करने के लिए विशेष केंद्र।
अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा
डॉ. सिंह ने ISARC की अग्रणी परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे संस्थान जलवायु-अनुकूल धान उत्पादन और टिकाऊ कृषि तकनीकों के विकास में योगदान दे रहा है। उन्होंने ISARC की धान की कम उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकियों पर विस्तार से चर्चा की। SDC के सहयोग से चल रही परियोजनाओं की प्रगति पर ISARC के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रकाशन ने जानकारी दी।
भविष्य की साझेदारी पर विचार-विमर्श
दौरे के अंत में, ISARC और स्विस प्रतिनिधिमंडल ने भविष्य में अनुसंधान और नवाचार के लिए साझेदारी के अवसरों पर चर्चा की। स्विस राजदूत श्रीमती तिस्साफी ने संस्थान के कार्यों की सराहना करते हुए कहा, “IRRI ने चावल अनुसंधान और स्थिरता के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। मैं यहां की समर्पित टीम और उनके नवाचारों से प्रेरित हुई हूं।”