वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याशी आशुतोष तिवारी हर्षित के नेतृत्व में दर्जनों छात्रों ने शनिवार को चाइनीज मांझे के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। छात्रों ने मांझे और पतंग को सार्वजनिक रूप से जलाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने चाइना सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की।
आशुतोष तिवारी ने कहा कि 2017 में ही भारत सरकार ने चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया था और उत्तर प्रदेश सरकार भी इस पर सख्त है। इसके बावजूद वाराणसी जैसे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में गली-मोहल्लों और दुकानों पर यह आसानी से उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया, “यह मांझा आखिर आ कहां से रहा है? इसके पीछे कौन लोग हैं? इन पर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए।”
चाइनीज मांझे से बढ़ता हादसों का खतरा
आशुतोष तिवारी ने चिंता जताते हुए कहा कि चाइनीज मांझे की वजह से वाराणसी में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2017 से अब तक इस मांझे के कारण सैकड़ों जानें जा चुकी हैं। हाल ही में कई छात्र-छात्राओं और राहगीरों को मांझे की वजह से गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें से कई की गर्दन तक कट चुकी है।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन से एक सप्ताह के भीतर चाइनीज मांझा बेचने वाली दुकानों को सील करने की मांग की। आशुतोष तिवारी ने कहा, “अगर अब किसी युवा की जान मांझे की वजह से जाती है, तो जहां भी यह मांझा मिलेगा, उसे आग के हवाले कर दिया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
युवाओं से की जागरूकता की अपील
आशुतोष तिवारी ने युवाओं से अपील की कि वे चाइनीज मांझे का बहिष्कार करें और दूसरों को भी इसके खतरों के प्रति जागरूक करें। प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सुजल पाण्डेय, नयन राय, अभिषेक दुबे, सचिन यादव, गौरव, आकाश सिंह, शिवाकांत पाण्डेय, विशाल चौबे, और ओजस आनंद सहित कई छात्र शामिल रहे।
छात्रों का कहना है कि चाइनीज मांझे की बिक्री और उपयोग को रोकने के लिए जिला प्रशासन को और सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन की निष्क्रियता के चलते यह जानलेवा मांझा खुलेआम बिक रहा है।
छात्रों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रशासन जल्द ही कार्रवाई नहीं करता है, तो वे खुद इसे जलाकर नष्ट करेंगे और इसका जिम्मा प्रशासन पर होगा।