हाथरस। हाथरस में हुई भगदड़ में मृतकों की संख्या बढ़कर 123 हो गई है। इनमें 113 महिलाएं, 7 बच्चे और तीन पुरुष शामिल हैं। हादसे के 40 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस अब तक नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा को नहीं पड़ सकी है। घटना के बाद से वह कहां गायब हो गया, इसका किसी को पता नहीं चल पा रहा है। पुलिस उसकी तलाश में मैनपुरी, कानपुर, ग्वालियर और हाथरस समेत उसके आठ ठिकानों पर दबिश दे रही है।
योगी सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया है। सीएम ने कहा कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस घटना में साजिश होने की आशंका जताई है। सीएम योगी ने बुधवार को जिला अस्पताल में घायलों से मिलकर हाल जानाम इसके बाद सिकंदराराऊ में घटनास्थल पर पहुंचे, जहां अलीगढ़ की मंडलायुक्त चैत्रा वी ने उन्हें घटना के बारे में बताया।
अफसरों को अंदर नहीं जाने दिया, हादसे के बाद भाग गए सेवादार
सीएम योगी ने बताया कि सेवादार स्थानीय प्रशासन के अफसरों को ऐसे आयोजनों में अंदर नहीं जाने देते। उन्होंने घटना के बाद इसे छिपाने की कोशिश भी की। जब घायलों को अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो सेवादार भाग निकले। योगी ने कहा कुछ विशेष टीमें बनाई है, प्रारंभिक जांच के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।
सीएम ने कहा कि अधिकारियों को लगा कि यह धार्मिक आयोजन है, सेवादारों को ही जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। बड़े कार्यक्रम इसी तरह होते हैं। पुलिस सुरक्षा के सबसे बाहरी घेरे में रहती है। लोग भी धार्मिक आयोजनों में अनुशासित रहते हैं, लेकिन आयोजन जब कुछ स्वार्थी लोगों के औजार बन जाते हैं, यह अनुशासन भंग हो जाता है।
एक दिन बाद आया बाबा का बयान
हादसे के एक दिन बाद भोले बाबा ने भगदड़ के लिए असामाजिक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया और इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. एपी सिंह को अधिकृत किया है। बाबा ने अपने वकील के माध्यम से अंग्रेजी में जारी बयान में कहा कि मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना है। प्रभु से प्रार्थना है कि घायलों को जल्द स्वस्थ करें। बाबा ने सफाई दी है कि मैंने भगदड़ से बहुत पहले वह सत्संग स्थल छोड़ दिया था।
पोरा चौकी प्रभारी बृजेश पांडे की ओर से मंगलवार रात 2:30 बजे भोले बाबा के मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर समेत आयोजकों व सेवादारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। इन पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में गैरइरादतन हत्या, प्राण घातक हमला, गंभीर चोट पहुंचाना, बंधक बनाना, निषेधाज्ञा का उल्लंघन और घटना के सबूत मिटाने और छुपाने के आरोप लगाए गए हैं।
भगदड़ के बाद मिटाए सबूत
FIR में आरोप है कि आयोजकों ने सत्संग में 80 हजार लोगों के जुटने की शर्त का उल्लंघन कर ढाई लाख लोगों को इकट्ठा कर लिया। उन्होंने यातायात प्रबंधन में भी मदद नहीं की और भगदड़ के बाद सबूत मिटा दिए। बताया जा रहा है कि भोले बाबा के चरण धूलि लेने के दौरान यह भगदड़ मची।