Home नेशनल लखनऊ में यूथ कांग्रेस नेता की मौत पर वाराणसी में नाराजगी: कैंडल मार्च कर जताया शोक, सीबीआई जांच की मांग

लखनऊ में यूथ कांग्रेस नेता की मौत पर वाराणसी में नाराजगी: कैंडल मार्च कर जताया शोक, सीबीआई जांच की मांग

by Bhadaini Mirror
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वाराणसी, भदैनी मिरर। लखनऊ में विधानसभा घेराव करने जा रहे गोरखपुर के युवा कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पाण्डेय की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर वाराणसी में गुरुवार को नाराजगी दिखी. युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अधिवक्ता विकास सिंह के नेतृत्व में कचहरी स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर कैंडल मार्च निकाला गया. तो वहीं, जिला और महानगर कांग्रेस ने आजाद पार्क (लहुराबीर) में चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा के सामने कैंडल मार्च निकालकर शोक सभा की.

सच्चाई छिपाने का प्रयास कर रही सरकार

कचहरी स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने प्रभात पांडेय को श्रद्धांजलि देने के साथ ही सरकार की नीतियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की. इस दौरान युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अधिवक्ता विकास सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार इस मामले को दबाने और सच्चाई छिपाने का प्रयास कर रही है. भाजपा और पुलिस की मिलीभगत से कांग्रेस नेताओं पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. यह घटना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी एक गंभीर खतरा है. हम इसके लिए सीबीआई जांच की मांग करते हैं ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा दी जा सके.” 

अजय राय के साथ हुआ अमानवीय व्यवहार

विकास सिंह ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के साथ यूपी पुलिस का व्यवहार अमानवीय रहा. प्रभात पांडेय के परिजनों से जब वह मिलने जा रहे थे तो पुलिस ने कई जगहों पर उनका काफिला रोका. उन्हें परेशान किया. इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश करार देते हुए विकास ने कहा कि, “ऐसी घटनाएं सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करती हैं. यह सब जनता की आवाज को दबाने के लिए किया जा रहा है.” 

योगी सरकार मृतक के परिजनों को दे मुआवजा

लहुराबीर पर हुए कैंडल मार्च में महानगर और जिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आक्रोश व्यक्त किया. प्रतीक के मौत का जिम्मेदार यूपी पुलिस की बर्बरता को बताया.
जिला व महानगर अध्यक्ष राजेश्वर सिंह व राघवेंद्र चौबे ने सयुक्त रूप से कहा की योगी सरकार मृतक के परिजनों को 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी बतौर मुआवजा दे. इस प्रकरण की व्यापक जांच हो व दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो. कहा कि यह घटना मोदी–योगी सरकार की दमनकारी मानसिकता और लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की शर्मनाक कोशिश को उजागर करती है.

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