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वाराणसी, भदैनी मिरर। लोकसभा चुनाव से पूर्व सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिवक्ताओं को वाराणसी में सम्बोधित किया. इस दौरान उन्हें सदस्य एवं पूर्व चेयरमैन बार काउन्सिल ऑफ़ उत्तर प्रदेश और पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने पांच सूत्रीय मांग सम्बंधित मांग पत्र योगी आदित्यनाथ को सौंपा. वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर सिंह ने कहा कि ऐसे तो अधिवक्ता समाज की समस्याएँ तो बहुत हैं, लेकिन मुख्य रुप से निम्न है-
- मृतक आश्रितों अधिवक्ताओं की जिनकी उम्र 70 वर्ष से कम है और सरकार का आदेश भी है अधिवक्ताओं के विधवाओं को 5,00,000/- रुपये की धनराशि को देने का अविलम्ब आदेश प्रदान करना।
- उत्तर प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट उत्तर प्रदेश में लागू करवाना।
- अधिवक्ता के लिए भी आयुष्मान योजना लागू करवाना।
- उत्तर प्रदेश के जिला न्यायालयों में व उत्तर प्रदेश के जनपदों के तहसीलों में अधिवक्ताओं को बैठने व पानी की सुविधाएं देना व अधिवक्ताओं को बैठने टिनसेड, मड़ई, छप्पड़ से मुक्ति दिलाकर चेम्बर बनवाना।
- प्रदेश के युवा अधिवक्ता व महिला अधिवक्ताओं के लिए कम से कम 10,000/- रुपया प्रतिमाह व उनके चैम्बर में कानूनी किताबें (लॉ बुक्स) की रख रखाव के लिए देना अति आवश्यक है।
इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अधिवक्ताओं के कल्याण हेतु लिये गये महत्त्वपूर्ण यह निर्णय लिए गए है-
- उ०प्र० में अधिवक्ताओं के कल्याण के संवर्धन के निमित्त 40 वर्ष की आयु के पूर्व एवं उ०प्र० बार काँउसिल में रजिस्टर्ड 60 वर्ष की आयु तक दिवंगत होने वाले प्रदेश के समस्त अधिवक्ताओं के आश्रितों को आर्थिक सहायता के रूप में प्रदेश सरकार द्वारा रू. 5 लाख की धनराशि का तथा 40 वर्ष या उसके उपरांत रजिस्टर्ड अधिवक्ताओं के आश्रितों को रू. 50,000 का भुगतान न्यासी समिति के माध्यम से किये जाने की व्यवस्था है.
- वर्तमान में शासनादेश दिनांक 9.03.2019 द्वारा अधिकतम आयु सीमा को बढ़ाकर 70 वर्ष कर दिया गया है. उक्त आर्थिक सहायता हेतु अधिवक्ताओं से कोई अंशदान नहीं लिया जाता है. साथ ही अधिवक्ता कल्याण निधि में पंजीकरण के 30 वर्ष की सदस्यता पूर्ण होने पर त्याग-पत्र देने. मृत्यु होने की दशा में उसके आश्रितों को अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि जो पूर्व में रू. 1.5 लाख निर्धारित थी, को बढ़ाकर रू. 5 लाख किये जाने हेतु अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) अधिनियम 2021 दिनांक 24 दिसम्बर, 2021 को प्रख्यापित कर दिया गया है जो दिनांक 18 नवम्बर, 2021 से लागू है.
- इस हेतु न्यासी समिति के अधीन अधिवक्ता कल्याण निधि (कार्पस फण्ड) स्थापित है. उक्त फण्ड की धनराशि रू. 200 करोड़ को बढ़ाकर अब रू. 500 करोड़ किये जाने पर मा० मंत्रिपरिषद द्वारा दिनांक 19.12.2023 को अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है.
- आर्थिक सहायता योजनान्तर्गत वर्ष 2017- 18 से अब तक मृतक अधिवक्ताओं के कुल 2751 आश्रितों को रू. 1,27,81,50,000/- (एक अरब सत्ताईस करोड़ इक्यासी लाख पचास हजार मात्र) का भुगतान किया गया है.
- आश्रितों को आर्थिक सहायता दिये जाने के संबंध में वर्तमान में कुल 456 आवेदन पत्र अनुमोदित किये जा चुके हैं, जिन्हें आर्थिक सहायता के रूप में कुल रू० 22.26 करोड़ दिये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. 83 आवेदन पत्र पूर्ण हैं जिनके अनुमोदन की कार्यवाही न्यासी समिति द्वारा की जा रही है. इस हेतु लगभग 4.15 करोड़ का व्यय भार सम्भावित है.
- यदि किसी अधिवक्ता की सदस्यता 12 वर्ष के पश्चात तथा 25 वर्ष के पूर्व समाप्त हो जाती है तो, सदस्यता समाप्त होने पर सदस्यता के प्रत्येक संपूरित वर्ष के लिए उसे रू0 2000 प्रति वर्ष के दर से संगणित धनराशि भुगतान किये जाने की व्यवस्था है. साथ ही यदि किसी अधिवक्ता/सदस्य की सदस्यता उपरोक्त स्थिति के अतिरिक्त किसी अन्य कारण से 12 वर्ष से पूर्व समाप्त हो जाती है तो वह अपनें द्वारा जमा किये गये वार्षिक अंशदान की धनराशि के बराबर की धनराशि प्राप्त करनें का अधिकारी होगा. 25 वर्ष की सदस्यता पूरी करनें के उपरान्त सदस्यता से त्यागपत्र देने पर सदस्यता के प्रत्येक संपूरित वर्ष के लिए रू० 5000 की दर से भुगतान किया जायेगा, जिसकी अधिकतम सीमा पूर्व में रू0 1.50 लाख निर्धारित थी जिसे कि अब शासनादेश दिनांक 18.11.2021 के माध्यम से बढ़ाकर राज्य सरकार द्वारा रू0 5.00 लाख कर दिया गया है. यह लाभ 30 वर्ष की सजा पुल्क नियमित रूप से जमा करने पर ही अनुमन्य है.
- 7. उ०प्र० अधिवक्ता सामाजिक सुरक्षा निधि योजना के अन्तर्गत सदस्यता वापसी के रूप में वर्ष 2017-18 से अब तक कुल 3505 अधिवक्ताओं को रू० 66,45,89,926/ का भुगतान न्यासी समिति द्वारा किया गया है. ४. उ०प्र० अधिवक्ता सामाजिक सुरक्षा निधि योजना के अन्तर्गत मृत्यु दावे के रूप में वर्ष 2017-18 से अब तक कुल 1872 मृतक अधिवक्ताओं के आश्रितों को कुल रू० 14,75,22,112/- का भुगतान न्यासी समिति द्वारा किया गया है.
- कुल 3758 युवा अधिवक्ताओं का काय के शुरूआती 03 वर्षों के लिये पुस्तकें एवं पत्रिका आदि क्रय करने हेतु रू0 1 करोड़ 60 लाख की वित्तीय स्वीकृति निर्गत की गयी है. 10. त्वरित आर्थिक विकास योजना के अन्तर्गत अधिवक्ता भवन/हाल/चैम्बर निर्माण से संबंधित कार्यों हेतु 09 जनपदों क्रमशः जनपद झॉसी, सुलतानपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बलरामपुर एवं गोरखपुर हेतु नियोजन विभाग द्वारा वित्तीय स्वीकृति निर्गत की जा चुकी है.
- न्याय विभाग के माध्यम से एडवोकेट चैम्बर के निर्माण हेतु जनपद प्रयागराज कमल रू0 1131.38 लाख, कासगंज हेतु 525.15 लाख, लखनऊ हेतु 488.24 लाख एवं श्रावस्ती हेतु 485.31 लाख की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है.
- मा० उच्च न्यायालय के उपयोगार्थ मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद परिसर में वृहद मल्टीलेवल पार्किंग, लगभग 10000 अधिवक्ताओं के बैठने के लिए लगभग 2500 एडवोकेट चैम्बर्स के साथ डायनिंग हाल, कामन रूम एवं लाईब्रेरी के निर्माण हेतु अब तक लगभग 608.00 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है.
- राज्य सेवा अधिकरण में शास किये जाने हेतु 13 वकीलों को प्रजेन्टिग आफिसर नियुक्त किया गया है.
- राष्ट्रीय विकास में विधि की समुचित भूमिका को सुनिश्चित करने की दृष्टि से विधि की विधा एव ज्ञान तथा तत्संबंधी अनुसंधान की अभिवृद्धि और प्रसार करने, छात्रों और अनुसंधानविदों में वकालत, न्यायिक और अन्य विधिक सेवाओं, विधिक, आलेखन, विधि सुधारों तथा वृत्तिक शिक्षा का प्रसार करने, न्यायिक अधिकारियों तथा न्यायिक प्रशासन में लगे हुए अन्य अधिकारियों को पर्याप्त अभिन्यास तथा प्रशिक्षण उपलब्ध कराने आदि उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जनपद प्रयागराज में डा० राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है। इसका शिलान्यास भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी द्वारा मा० राज्यपाल, उ०प्र० एवं मा० मुख्यमंत्री, उ०प्र० सरकार की उपस्थिति में दिनांक 11.09.2021 को किया गया है। इसके निर्माण हेतु कुल रू0 38758.81 लाख की वित्तीय स्वीकृति निर्गत की जा चुकी है.
- प्रदेश के नवसृजित 06 जनपदों यथा हाथरस, शामली, चंदौली, महोबा, अमेठी एवं औरैया में पाईलेट प्रोजेक्ट के रूप में एकीवलय परिसर का निर्माण कराये जाने हेतु कार्यवाही प्रचलित है। इसमें वादकारियों, साक्षियों के लिए कक्ष, अधिवक्ताओं के लिए चैम्बर, न्यायिक अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आवासीय परिसर, वाहनों की पार्किंग व सामान्य जनसुविधायें आदि की व्यवस्था एक ही परिसर में उपलब्ध करायी जानी प्रस्तावित हैं.