वाराणसी, भदैनी मिरर। सारनाथ थाना के माधव नगर कालोनी निवासी भारतीय जल सेना में आनररी सब लेफ्टीनेंट रहे अनुज कुमार यादव को डिजिटल अरेस्ट कर ने 98 लाख की साइबर ठगी करने वाले 9 लोगों को वाराणसी कमिश्नरेट की साइबर पुलिस ने अरेस्ट किया है. इसका खुलासा डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार और एडीसीपी श्रुति श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके की. पुलिस ने इनके पास से भारी मात्रा में एटीएम कार्ड, लैपटॉप और करीब साढ़े 7 लाख रुपए बरामद किया है. बताया कि सभी आरोपी वाराणसी सहित आसपास के जनपदों से है. खुलासा करने वाली पुलिस टीम को डीसीपी ने ₹10 हजार के नगद पुरस्कार की घोषणा की.
पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार शातिर बदमाशों ने बताया कि वह सबसे पहले फर्जी ट्राई अधिकारी या सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों को उनके मोबाइल नंबर पर वर्चुअल नंबर से काल करते है. उनके नाम पर फर्जी सिम के जारी होने तथा उस सिम का अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की बात कहकर डरवाते है और फिर झांसा देते हुए उनकी डिजिटल हाउस अरेस्टिंग कर वेरीफिकेशन के नाम पर तथाकथित आरबीआई के बैंक खातों में पैसा ट्रान्सफर करवा लेते है. उन पैसों को साइबर अपराधियों द्वारा फर्जी गेमिंग एप्लीकेशन में यूजर्स को पेआउट के नाम पर ट्रान्सफर कर देते है. इस तकनीक में साइबर अपराधियों द्वारा ईसीएस व ईआईपी सर्विसेज का इस्तेमाल करते हुए ओटीपी प्राप्त करने के लिए एसएमएस फार्डरवर एप्लीकेशन जैसे ड्रैगन एसएमएस का प्रयोग करते है. अपनी पहचान छिपाने के लिए इस तरह की घटना में फर्जी म्यूल बैंक खातों, फर्जी सिम कार्ड व डिजिटल फुटप्रिंट से बचने के लिए वर्चुअल मशीन का प्रयोग करते है.
यूपी के है सभी आरोपी
गिरफ्तार आरोपियों में सभी यूपी के है. गौशालापुरवा (सीतापुर) रामकोटी निवासी संदीप कुमार, चकिया (चंदौली) निवासी अभिषेक जायसवाल, हातीपुर (चुनार) निवासी विकास सिंह पटेल, चुनार (मिर्जापुर) निवासी कुनाल सिंह पटेल, लालपुर (जौनपुर) जलालपुर निवासी संजय यादव, फूलहा (चुनार) रामगढ़ निवासी हर्ष मिश्रा, खानपुर (मिर्जापुर) चुनार निवासी नितिन सिंह, कबीर नगर कॉलोनी दुर्गाकुंड (भेलूपुर) निवासी इकबाल खान और बेलबीर चुनार निवासी आदिल खान को गिरफ्तार किया गया है.
ठगों ने ऐसे हड़काया था पीड़ित को
पीड़ित के मुताबिक गत 11 नवम्बर को उन्हें एक अज्ञात फोन आया. जिसने अपने आपको टेलीकाम रेगुलेटरी अथारिटी आफ इंडिया का अधिकारी बताया. उसने कहा कि आपके नाम पर एक मोबाइल का सिम जारी हुआ है. जिससे गैर कानूनी कानूनी गतिविधियाँ की जा रही हैं. आप कोलावा पुलिस स्टेशन पर सम्पर्क करो. इसके बाद पीड़ित के पास दूसरे नंबर से फोन आया जिसने बताया की तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दर्ज है. इसके बाद एक फोन आया जिसमें जांच अधिकारी और पूर्व चीफ जस्टिस बनकर उससे बात की और वीडियो काल द्वारा यह कहकर डराते रहे कि आपका नाम नरेश गोयल मनी लांड्रिंग के केस में आ गया है‚ क्योंकि उससे सम्बन्धित केनरा बैंक में आपका खाता खुला है.
इसी प्रकार आगे सीबीआई चीफ बनकर वीडियो काल के माध्यम से विभिन्न बहाने से डराया व धमकाया और 98 लाख दो बार में ले लिया गया. साइबर अपराधियों ने यह भरोसा दिया कि जांच करके उनका नाम केस से हटा देगा. रुपए देने के बाद पीड़ित को समझ में आया कि वह ठगी का शिकार हुआ है. इसके बाद मुकदमा दर्ज कराया.