वाराणसी, भदैनी मिरर। अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वाक की एक आवश्यक बैठक हिंदी विभाग,बीएचयू के विरासत कक्ष में आयोजित की गई. जिसमें इसके संस्थापक प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र की उपस्थिति में रविवार 22 दिसम्बर 2024 को मानसरोवर घाट पर एक ‘सम्वाद सह सांस्कृतिक कार्यक्रम’ आयोजित किये जाने पर चर्चा हुई। इस संवाद संगोष्ठी का विषय होगा-‘काशी में घाट संस्कृति’। इसमें काशी के घाटों पर भारतीय संस्कृति के विविध रूपों पर चर्चा होने के साथ यहाँ के घाटों पर दिखने वाली भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों पर आमंत्रित घाटवाकर द्वारा चर्चा होगी। इस संवाद समवाय में घाट पंडे, पुजारी, मल्लाह, डोम, हमारे विशेष आमंत्रित अतिथि होंगे। साथ में शहर के विद्वान नागरिक तो होंगे ही।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत बिरहा का आयोजन होगा। साथ ही लोक कलाकार अष्टभुजा मिश्र द्वारा रविदास के जीवन पर आधारित एक लघु नाटिका की प्रस्तुति भी होगी। आज की बैठक में प्रख्यात लोक कलाकर अष्टभुजा मिश्र को हाल ही में मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा ‘कला साधक सम्मान’ मिलने की खुशी में घाटवाक की ओर से अंगवस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया।
इस बैठक में नए साल के कुछ विशेष आयोजन पर चर्चा होने के साथ इसके वार्षिक समारोह को भव्य रूप में मनाने पर भी सदस्यों द्वारा चर्चा की गई। अवसर पर प्रोफेसर मिश्र द्वारा काशी के कुछ दुर्लभ संवाद को भी सदस्यों के बीच साझा किया गया जिसमें ‘काशी में शव- संवाद’ तो अद्भुत था।आप भी कभी मणिकर्णिका पर कुछ देर रूककर जरा शव से सम्पन्न हो रहे डोम के सम्वाद को ध्यान से सुनिए। आंसू व पेशे के बीच के हर बारीक रेशे की पहचान हो सकेगी। यही काशी की घाट संस्कृति है।- और यह संस्कृति धरती पर सिर्फ यही है काशी में।इस दौरान अष्टभुजा मिश्र, डॉ विंध्याचल यादव, डॉ शैलेन्द्र सिंह, शैलेश तिवारी, वाचस्पति उपाध्याय, डॉ मनकामना शुक्ल पथिक, अक्षत पांडेय, सालवी यादव, पंकज यादव,अमित कुमार, शिवम यादव, अभिषेक गुप्ता।