Home अध्यातम काशी विश्वनाथ धाम: तीसरे स्थापना दिवस पर भव्य अनुष्ठान, राष्ट्र की खुशहाली के लिए हवन

काशी विश्वनाथ धाम: तीसरे स्थापना दिवस पर भव्य अनुष्ठान, राष्ट्र की खुशहाली के लिए हवन

by Ankita Yadav
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वाराणसी। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को वाराणसी में भव्य धार्मिक अनुष्ठान और हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले इस धाम का लोकार्पण किया था, जिसके बाद यह स्थान करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया है।


विशेष धार्मिक आयोजन और श्रद्धा का उत्सव

कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत पूजा-अर्चना से हुई, जिसमें आचार्यों और ब्राह्मणों ने पारंपरिक मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ संपन्न किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा और काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम का नवनिर्मित स्वरूप न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी वाराणसी को एक नई पहचान दे रहा है।


धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम

तीसरे स्थापना दिवस के मौके पर धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ मंदिर परिसर में कई सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें एक विशेष नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया, जहां लोगों को नि:शुल्क नेत्र जांच और परामर्श की सुविधा दी गई। इसके अलावा, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए भारतीय संस्कृति और काशी की धार्मिक परंपराओं को प्रदर्शित किया गया।


काशी विश्वनाथ धाम: आस्था और विकास का प्रतीक

तीन वर्षों में काशी विश्वनाथ धाम ने धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को नए आयाम दिए हैं। धाम के नवनिर्माण के बाद से यहां देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं। धाम की भव्यता और आधुनिक सुविधाओं ने वाराणसी को वैश्विक धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित किया है।


राष्ट्र की समृद्धि और खुशहाली की कामना

इस अवसर पर आयोजित हवन यज्ञ में विशेष रूप से राष्ट्र की समृद्धि, खुशहाली और सांस्कृतिक एकता के लिए प्रार्थना की गई। आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं ने उत्साह के साथ भाग लिया और बाबा विश्वनाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया।

काशी विश्वनाथ धाम का तीसरा स्थापना दिवस न केवल धार्मिक आस्था का पर्व था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और विकास का भी प्रतीक बन गया।

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