Home अध्यातम जानें कब से शुरू हो रहा खरमास, क्यों इसमें होती है शुभ करने की मनाही

जानें कब से शुरू हो रहा खरमास, क्यों इसमें होती है शुभ करने की मनाही

by Bhadaini Mirror
0 comments

खरमास हिंदू पंचांग के अनुसार ऐसा समय है, जब शुभ कार्यों पर रोक होती है। इस अवधि को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ। आइए जानते हैं इस महीने की खास बातें, मान्यताएं और इसका धार्मिक महत्व।

Ad Image
Ad Image
खरमास क्यों माना जाता है अशुभ?

खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, इस अवधि में ग्रहों की स्थिति मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होती। हालांकि, इस समय पूजा-पाठ, धार्मिक दान, और खरीदारी की अनुमति होती है। खासतौर पर जरूरतमंदों की मदद करना और भगवान की आराधना को पुण्यदायक बताया गया है।

Ad Image
  • खरमास 2024 की अवधि
Ad Image

इस वर्ष खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर 2024 की रात 10:19 बजे से होगी। यह अवधि 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति** के दिन समाप्त होगी। इस समय सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेगा और मकर राशि में जाने पर खरमास समाप्त होगा।

Ad Image
Ad Image

-खरमास में किए जाने वाले धार्मिक कार्य

  1. मंत्र जाप

भगवान के नाम का जाप और पवित्र ग्रंथों जैसे श्रीराम कथा, शिव पुराण, या भागवत का पाठ करें।

Ad Image
Ad Image
  1. दान करना

जरूरतमंदों, साधु-संतों और ब्राह्मणों को दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

Ad Image
  1. पवित्र स्नान

तीर्थस्थलों पर जाकर पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना गया है।

  1. भागवत कथा और धार्मिक आयोजन

धार्मिक आयोजनों और कथा सुनने या सुनाने से आध्यात्मिक लाभ होता है।

खरमास में वर्जित कार्य

  • विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
  • ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय अशुभ माना जाता है, क्योंकि सूर्य और गुरु की स्थिति कमजोर होती है। खरमास का पौराणिक संदर्भ

खरमास का नामकरण एक कथा से जुड़ा है। मान्यता है कि सूर्यदेव का रथ घोड़ों द्वारा खींचा जाता था। लगातार यात्रा से थके घोड़ों को आराम देने के लिए गधों को रथ में जोता गया। गधों के धीमे चलने के कारण इस माह को “खरमास” कहा गया।

इस समय सूर्य की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।

  • सुबह स्नान के बाद तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  • जल में चावल, कुमकुम, और फूल मिलाएं।
  • “ऊँ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • खरमास की समाप्ति

खरमास 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के साथ समाप्त होगा। इस दिन सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेगा, जिससे शुभ कार्य फिर से प्रारंभ हो सकेंगे।

सूर्य के धनु राशि में जाने से हेमंत ऋतु में बदलाव आता है। दिन छोटे और रातें लंबी हो जाती हैं। साथ ही, इस समय बारिश, धुंध, और ठंडी हवाओं का प्रभाव बढ़ सकता है।

खरमास आत्मा की शुद्धि और भगवान के करीब जाने का अवसर है। पूजा, दान, और धार्मिक गतिविधियां इस समय विशेष पुण्य प्रदान करती हैं।

Social Share

You may also like

Leave a Comment