छह दिसंबर को अयोध्या में हुई घटना को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मनाया काला दिवस
वाराणसी, भदैनी मिरर। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के 32 वर्ष बाद भी मुस्लिम समुदाय में इसकी यादें ताजा हैं. इस ऐतिहासिक घटना के विरोध में शुक्रवार को दालमंडी क्षेत्र के अधिकतर मुस्लिम व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं. मुस्लिम समुदाय ने शांतिपूर्ण तरीके से इस घटना के विरोध में अपनी दुकानों को बंद करने के ऐलान किया. इससे पहले पुलिस प्रशासन ने गुरुवार की रात बंदी वाले पोस्टर हटवाए थे. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र दालमंडी में आज काला दिवस मनाने के लिए दुकानें बंद रही. यह क्षेत्र, जहां प्रतिदिन करोड़ों रुपए का व्यापार होता है, शुक्रवार को पूरी तरह से सन्नाटे में डूबा हुआ था.
यहां की संकरी गलियां और प्राचीन बाजार सामान्य दिनों में भी भीड़-भाड़ से भरी रहती हैं, लेकिन व्यापारियों ने बाबरी मस्जिद गिराने के विरोध में अपनी दुकानें बंद रखी. मुस्लिम बहुल इलाके नई सड़क में मस्जिद लंगड़े हाफिज के नीचे स्थित मार्केट पूरी तरह बंद रही. दालमंडी और गुदड़ी बाजार की भी दुकानें बंद थी. लोग दुकानों के बाहर खड़े रहे. मार्केट आ रहे लोगों को वापस भेजा जा रहा था. स्थानीय निवासी शकील अहमद ने बताया- 1993 से बंद हो रही हैं ये दुकानें. बाबरी मस्जिद की सहादत पर लोग अपने से दुकान बंद करते हैं. किसी से कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जाती हैं. इसका कोई आह्वान नहीं होता है. साल 1993 से लोग यह काम कर रहे हैं.
शकील अहमद ने कहा- यहां पुलिस मुस्तैद रहती है. 4 से 5 हजार दुकानें रही, जिसे लोग आपसी सहमति से बंद रखते हैं. हर साल दुकानदार 5 दिसंबर की रात दुकान बंद करते समय अपनी दुकानों पर पोस्टर चस्पा करते थे कि कल दुकान नहीं खुलेगी. बाबरी विध्वंस की बरसी पर, लेकिन इस बार किसी तरह का पोस्टर नहीं लगाया गया. शांतिपूर्ण तरीके से दुकानें बंद की गई.