वाराणसी, भदैनी मिरर। शहर में जगह-जगह बड़े- बड़े होल्डिंग लगाकर मेट्रो सिटीज की सभी सुविधाओं का होने का दावा करके मरीजों को एटीएम मशीन समझने वाले हॉस्पिटल ‘पॉपुलर’ की कारस्तानी किसी से छिपी नहीं है. पैसों के दम पर मिलने वाले सम्मान और माननीयों संग की फोटो चेंबर और अस्पतालों के दीवारों पर चस्पा करके जनता को लूटने का खेल करता है. सोशल मीडिया पर मंगलवार रात एक बार फिर पॉपुलर हॉस्पिटल सुर्खियों में तब आ गया जब ख्यात समाजसेवी (रक्तवीर) सौरभ मौर्या ने मोर्चा खोल दिया.
सबको लूटता है, शायद मुझे न लूटे
महज 34 साल की उम्र में सबसे ज्यादा रक्तदान का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले सौरभ मौर्या के पुत्र को डेंगू के कारण पॉपुलर हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. सौरभ कहते है की 181 बार रक्तदान कर चुका हूं, जिसमें 80 से ज्यादा पॉपुलर के ब्लड बैंक में रक्तदान किया और 300 से ज्यादा यूनिट रक्तदान दूसरों से करवा चुका हूं. हॉस्पिटल से बस एक ही उम्मीद थी की जनता को लूटने वाला पॉपुलर हमसे छल-कपट नहीं करेगा. लेकिन लुटेरों से उम्मीद लगाना बेकार है.
68 हजार रूपए अस्पताल ने लिए
सौरभ ने बताया की रक्त की सेवा करने के दौरान पिछले कई वर्षों से अस्पताल और इलाज से रिश्ते है. जिन जांच के कुल ₹ 3300 होने चाहिए मरीज भर्ती करके उसी जांच का अस्पताल में ₹ 11500 लिया गया. इतना ही नहीं अस्पताल में दो कौड़ी का कमरा (नॉन एसी), बाथरूम जिसे प्राइवेट रूम का नाम देकर ₹4000 लिया गया, यानी 5 अक्टूबर को बच्चे को सौरभ ने एडमिट करवाया और 10 अक्टूबर को डिस्चार्ज कराया तो 6 दिन का किराया ₹24000 लिया. सौरभ के मुताबिक मंगलवार का जब वह अस्पताल से डिस्चार्ज कराने लगे तब तक अस्पताल को ₹48000 दे चुके थे, जिसके बाद ₹52000 का बकाया बिल पकड़ा दिया गया. इसके बाद ₹32000 के डिस्काउंट के बाद अस्पताल ने ₹20000 जमा करवाया.
मानवता और शर्म दोनो बेच खाया है पॉपुलर अस्पताल
अस्पताल के खिलाफ जनता का जबरदस्त आक्रोश है, सोशल मीडिया पर सौरभ मौर्या को जबरदस्त सपोर्ट मिल रहा है. सौरभ ने जैसे ही पोस्ट लिखा”मानवता और शर्म दोनो बेच खाया है पॉपुलर अस्पताल” वैसे ही लोगों के तरह-तरह के रिएक्शन आने लगे. जनता ने यहां तक कहा की यह अस्पताल बिजनेस का अड्डा है, इनके निदेशक अवधेश कौशिक को समाजसेवी के सेवा से कोई वास्ता नहीं बल्कि उसके लिए केवल पैसे का मूल्य है.