Home होम बांझपन लाइलाज नहीं : केवल महिला नहीं पुरुष भी होते हैं इसकी वजह, प्रेग्नेंसी की समस्या में IVF है लास्ट ऑप्शन

बांझपन लाइलाज नहीं : केवल महिला नहीं पुरुष भी होते हैं इसकी वजह, प्रेग्नेंसी की समस्या में IVF है लास्ट ऑप्शन

by Ankita Yadav
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आजकल बांझपन (Infertility) की समस्या बढ़ती जा रही है, यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकती है और यह कई शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक पहलुओं को प्रभावित करती है। इसे लेकर लोगों में कई तरह की मिथ्या भी है। लोग डॅाक्टर के पास जाने से कतराते है। इस बारे में प्रसूति रोग विशेषज्ञ और रि-लाइफ केयर हॉस्पिटल की निदेशिका डॉक्टर वनिता महस्के ने भदैनी मिरर की रिपोर्टर तनिषा श्रीवास्तव से खास बाचतीत की और इस पर विस्तार से रुप से चर्चा की और बताया कि बांझपन के क्या कारण है और कैसे इसे ठीक किया जा सकता है।

डॉक्टर वनिता महस्के ने बताया कि बांझपन (Infertility) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कोई दंपत्ति नियमित रूप से एक साल तक बिना किसी गर्भनिरोधक उपाय के प्रयास करने के बावजूद गर्भधारण (Pregnancy) करने में असफल रहता है। यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकती है।

बांझपन के प्रकार और उनके कारण

बांझपन को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: प्राइमरी इनफर्टिलिटी और सेकेंडरी इनफर्टिलिटी।

  • प्राइमरी इनफर्टिलिटी: यह स्थिति उन जोड़ों में होती है, जो शादी के बाद नियमित रूप से बिना गर्भनिरोधक के साथ रहते हैं, लेकिन गर्भधारण नहीं कर पाते।
  • सेकेंडरी इनफर्टिलिटी: इसमें महिला पहले गर्भधारण कर चुकी होती है, लेकिन गर्भपात, समय से पहले प्रसव, या असामान्य शिशु जन्म के बाद दोबारा गर्भधारण करने में कठिनाई होती है।

इसके कारण पुरुषों और महिलाओं दोनों में अलग-अलग हो सकते हैं। महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन (जैसे पीसीओडी), शारीरिक समस्याएं, या गर्भाशय की संरचना से जुड़ी दिक्कतें शामिल हो सकती हैं। वहीं पुरुषों में स्पर्म की कमी, संक्रमण, या उसकी गुणवत्ता में खराबी मुख्य कारण हो सकते हैं।

बांझपन से जुड़े मिथक

डॉक्टर वनिता महस्के ने बांझपन से जुड़े मिथक के सवाल पर बताया कि लोगों में अक्सर यह धारणा होती है कि बच्चा न होने का कारण केवल महिलाएं होती हैं, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। संतान प्राप्ति में महिला और पुरुष दोनों समान रूप से जिम्मेदार होते हैं। इसलिए दोनों की जांच और इलाज करना जरूरी है। सही इलाज से अच्छे नतीजे मिल सकते हैं।

बांझपन से बचाव के उपाय

डॉक्टर वनिता महस्के ने बताया कि 20 से 40 वर्ष की उम्र तक प्रजनन क्षमता सामान्य रूप से अच्छी रहती है। लेकिन बढ़ती उम्र के साथ फर्टिलिटी घटने लगती है।

  • पीरियड्स में अनियमितता या हार्मोनल समस्या को समय पर ठीक करने से भविष्य में इनफर्टिलिटी की संभावना कम हो सकती है।
  • जेनेटिक समस्याएं, ज्यादा या कम मासिक धर्म, और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का समय पर इलाज कराने से भी समस्या से बचा जा सकता है।
  • नियमित व्यायाम, मेडिटेशन, और संतुलित जीवनशैली अपनाने से बांझपन की संभावना को कम किया जा सकता है।

इलाज और खर्च

बांझपन के इलाज का खर्च व्यक्ति की समस्या और इलाज की जटिलता पर निर्भर करता है।

  • कुछ मामूली समस्याओं का समाधान सरल जांच और इलाज से हो सकता है, जिससे महिला जल्दी गर्भधारण कर सकती है।
  • कुछ मामलों में गहन जांच और लंबे इलाज की जरूरत होती है, जिससे खर्च और समय दोनों बढ़ सकते हैं।
    इसलिए हर मामले का इलाज उसकी विशिष्ट स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है।

विशेषज्ञ से परामर्श क्यों है जरूरी?

डॉक्टर वनिता महस्के ने कहा कि, यदि कोई दंपति एक साल तक बिना गर्भनिरोधक के साथ रहने के बावजूद गर्भधारण में असमर्थ है, तो उन्हें तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। शुरुआती जांच में समस्या का पता चलने पर इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है। कभी-कभी समस्या बेहद छोटी होती है, जिसे हल करने से संतान प्राप्ति संभव हो सकती है।

ग्रामीण महिलाओं में जागरूकता बढ़ाना

डॉक्टर वनिता महस्के ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को जागरूक करने के लिए स्कूल-कॉलेजों में विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। इनमें पीसीओडी जैसी समस्याओं और उनके प्रभाव के बारे में जानकारी दी जाती है। साथ ही, जीवनशैली में बदलाव, व्यायाम, और खानपान पर ध्यान देकर इन समस्याओं को समय रहते रोका जा सकता है।

आईवीएफ को लेकर भ्रम

डॉक्टर वनिता महस्के ने बताया कि आजकल कई लोग गर्भधारण में समस्या होने पर सीधे आईवीएफ (IVF) की ओर रुख करते हैं। हालांकि यह एक गलत धारणा है। डॉक्टर से परामर्श लेकर समस्या का सही कारण जानना जरूरी है। हो सकता है, समस्या हल्की हो और बिना आईवीएफ के ही इलाज संभव हो। इसलिए आईवीएफ से पहले विशेषज्ञ की सलाह और शुरुआती इलाज का प्रयास जरूर करना चाहिए।

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