वाराणसी। काशी नगरी में क्रिसमस की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। वाराणसी धर्मप्रांत के बिशप, युजीन जोसेफ ने इस पुनीत अवसर पर काशीवासियों और देशवासियों को क्रिसमस और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने प्रभु ईसा मसीह से विश्व में शांति, सुख, समृद्धि, और एकता की प्रार्थना की।
क्रिसमस का उल्लास: चर्च और घरों में सजावट
क्रिसमस के पर्व की शुरुआत ख्रीस्त जयन्ती गीतों (कैरोल गीत), नवजात ईसा मसीह की झांकी (चरनी), चर्च और घरों की भव्य सजावट के साथ हो चुकी है। पारंपरिक किसमस ट्री भी तैयार कर लिया गया है। पवित्र बाइबिल में वर्णित वचन “देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, जिसका नाम इम्मानुएल होगा” (मत्ती 1:23) के साथ ईसाई समुदाय प्रभु ईसा मसीह के दर्शन की प्रतीक्षा कर रहा है।
मध्य रात्रि में होगा मिस्सा बलिदान
24 दिसंबर की मध्य रात्रि को संपूर्ण ईसाई समुदाय गिरजाघरों में प्रभु की स्तुति और आराधना के लिए एकत्र होगा। मान्यता है कि 24 दिसंबर की मध्य रात्रि में ईश्वर ने मानव रूप में संसार के मुक्तिदाता ईसा मसीह के रूप में जन्म लिया। इस अवसर पर गिरजाघरों में विशेष पूजा-विधि (मिस्सा बलिदान) संपन्न होगी। प्रभु के जन्म की खुशी में घंटियां बजाई जाएंगी और विशेष महिमा गान व जयघोष किया जाएगा।
चरनी में होगा नवजात शिशु की प्रतिमा का अभिषेक
पूजा-विधि के उपरांत नवजात शिशु ईसा मसीह की प्रतिमा को शोभा यात्रा के साथ गिरजाघर से चरनी में स्थानांतरित किया जाएगा। चरनी का अभिषेक करने के बाद श्रद्धालुगण नवजात ईसा के दर्शन करेंगे और उनकी स्तुति करेंगे।
क्रिसमस का संदेश: प्रेम और एकता
इस पावन अवसर पर ईसाई समुदाय के लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाएंगे और ख्रीस्त जयन्ती गीत गाएंगे। किसमस केक साझा कर प्रेम और एकता का संदेश दिया जाएगा।
2 जनवरी को विकलांग दिवस के साथ होगा समारोह का समापन
क्रिसमस समारोह का समापन 2 जनवरी 2024 को डीएलडब्ल्यू स्थित सेंट जॉन्स स्कूल में विकलांग दिवस के आयोजन के साथ होगा। इस दिन दृष्टिबाधित, मूकबधिर, और शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। खेल-कूद प्रतियोगिताओं और पुरस्कार वितरण के साथ इस भव्य आयोजन का समापन होगा।
बिशप युजीन जोसेफ ने प्रेस वार्ता के जरिए सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और क्रिसमस व नववर्ष की बधाई दी।