Home Uncategorized श्रावस्ती और बटेश्वर में होगा आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पर्यटन का विकास, पर्यटन मंत्रालय की बड़ी घोषणा

श्रावस्ती और बटेश्वर में होगा आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पर्यटन का विकास, पर्यटन मंत्रालय की बड़ी घोषणा

by Bhadaini Mirror
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दिल्ली, पसूका। पर्यटन मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख स्थलों, श्रावस्ती और बटेश्वर, को विश्व स्तरीय पर्यटन गंतव्यों में बदलने की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की घोषणा की है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करते हुए रोजगार के अवसर बढ़ाना और क्षेत्रीय विकास को गति देना है।

श्रावस्ती: बौद्ध पर्यटन का वैश्विक केंद्र


उत्तर प्रदेश के गोंडा डिवीजन में स्थित श्रावस्ती बौद्ध धर्म का पवित्र स्थल है, जहां भगवान बुद्ध ने 25 वर्षा ऋतुएं जेतवन मठ में बिताई थीं। इस ऐतिहासिक स्थल को समृद्ध बनाने के लिए 80.24 करोड़ रुपये की लागत से एकीकृत बौद्ध पर्यटन विकास परियोजना प्रारंभ की गई है।
परियोजना में प्रवेश द्वार, इंटरप्रिटेशन सेंटर, भूनिर्माण, सड़क सौंदर्यीकरण, पार्किंग, छात्रावास और अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके माध्यम से पर्यटकों को आधुनिक और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करने का लक्ष्य है। इस परियोजना के जरिए 5,278 रोजगार अवसर सृजित होंगे।

बटेश्वर: 101 शिव मंदिरों के नगर का कायाकल्प


आगरा से 70 किमी दूर यमुना के तट पर बसे बटेश्वर को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरने के लिए 74.05 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। बटेश्वर न केवल अपने 101 प्राचीन शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मस्थान भी है।
परियोजना के तहत व्याख्या केंद्र, ध्यान क्षेत्र, वाटिका, नटराज प्रांगण, डिजिटल अनुभव, आभासी पर्यटन, और पर्यावरण-अनुकूल सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। “नो प्लास्टिक जोन” जैसी योजनाओं के साथ, यह स्थल धार्मिक और साहसिक पर्यटन के लिए आदर्श गंतव्य बनेगा। यहां 11,519 रोजगार अवसर सृजित होने का अनुमान है।

सांस्कृतिक और आर्थिक विकास का लक्ष्य


दोनों परियोजनाओं से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को रोजगार और आर्थिक प्रगति का अवसर भी प्राप्त होगा। पीपीपी मॉडल के तहत श्रावस्ती और बटेश्वर में क्रमशः ₹30 लाख और ₹317.57 करोड़ की निजी निवेश योजनाएं लागू की जाएंगी।
पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, ये परियोजनाएं उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और वैश्विक मंच पर उसकी पहचान को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।

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