नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को राहत देते हुए उनकी जमीन पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चल रहे निर्माण कार्य को रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को अब्बास अंसारी की याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
मामला क्या है?
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 2020 में मुख्तार अंसारी की जमीन को अवैध घोषित कर उसे बुलडोजर से ढहा दिया था। बाद में इस जमीन पर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए मकान बनाने की योजना शुरू की। इस कार्रवाई के खिलाफ अब्बास अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
अब्बास अंसारी का कहना है कि यह जमीन उनके दादा ने खरीदी थी, जिसे उनकी दादी ने वसीयत के जरिए अब्बास और उनके भाई को सौंप दिया। हालांकि, 2020 में इसे सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया गया और अगस्त 2023 में उन्हें वहां से बेदखल कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा याचिका पर सुनवाई न करने पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि यदि जमीन किसी तीसरे पक्ष को सौंप दी जाती है, तो याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति होगी। इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और हाई कोर्ट को याचिका पर जल्द सुनवाई करने को कहा।
अब्बास अंसारी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि अधिकारियों ने उनकी जमीन को सरकारी संपत्ति घोषित कर उस पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में अन्य सह-मालिकों को राहत मिल चुकी है, जबकि उन्हें अभी तक कोई अंतरिम राहत नहीं दी गई है।