महाकुंभ 2025 के तीसरे और अंतिम अमृत स्नान के शुभ अवसर वसंत पंचमी पर संगम तट पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर लाखों श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान कर मोक्ष की कामना की। रात 12 बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं का आना-जाना जारी था और सुबह तक पूरा संगम क्षेत्र श्रद्धालुओं से भर चुका था।



हर-हर गंगे के जयघोष से गूंजा प्रयागराज
ज्यों-ज्यों सूर्य की पहली किरणें संगम तट पर पड़ीं, श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर पहुंच गया। “हर-हर महादेव” और “गंगे हर-हर” के गगनभेदी जयघोष से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाते हुए परिवार की सुख-शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की।


शाही स्नान का भव्य आयोजन

महाकुंभ में अखाड़ों के शाही स्नान की अपनी अलग गरिमा होती है। इस पावन अवसर पर महामंडलेश्वर, संत और नागा साधु भव्य शाही जुलूस के साथ स्नान के लिए निकले। शानदार रथों, सजे-धजे बग्घियों और पारंपरिक झंडों के साथ अखाड़ों की टोलियां निकलीं।




शाही स्नान की शुरुआत तड़के 4:30 बजे हुई। सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के संतों ने स्नान किया। इसके बाद निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंचदशनाम जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा समेत अन्य प्रमुख अखाड़ों ने क्रमवार संगम में स्नान किया।



शाही जुलूस का अद्भुत नजारा
शाही जुलूस में संतों और नागा साधुओं ने भाला, तलवार, त्रिशूल और गदा के साथ अपनी परंपराओं का प्रदर्शन किया। भक्तगण संतों के दर्शन के लिए स्नान मार्ग के दोनों ओर खड़े रहे और श्रद्धापूर्वक उनके आशीर्वाद की कामना की।


श्रद्धालुओं की भारी भीड़, लेकिन व्यवस्थाएं रहीं दुरुस्त
महाकुंभ के इस पावन स्नान में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने के बावजूद प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। घाटों पर जल पुलिस, गोताखोरों और सुरक्षाबलों की टीम तैनात रही, जिससे कोई अप्रिय घटना न हो।

महत्वपूर्ण बिंदु:
✅ रात 12 बजे से श्रद्धालुओं का स्नान प्रारंभ
✅ सुबह 4:30 बजे से शाही स्नान का शुभारंभ
✅ लाखों भक्तों ने किया पुण्य स्नान
✅ शाही जुलूस में संतों ने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन
✅ प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था को चाक-चौबंद रखा
देखें तस्वीरें



