Home वाराणसी निवर्तमान नहीं, नित वर्तमान है प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र

निवर्तमान नहीं, नित वर्तमान है प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र

प्रोफेसर मिश्र ने पूरा किया तीन साल का अपना विभागाध्यक्ष का कार्यकाल, प्रोफेसर अभिषेक पाठक को मिला दायित्व

by Bhadaini Mirror
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तीन वर्ष के अध्यक्षीय कार्यकाल के बाद

न्यूरोलॉजी विभाग,बीएचयू के अध्यक्ष मेरे बहुत प्रिय प्रो. विजयनाथ मिश्र आज सुयोग्य व प्रतिभाशाली युवा चिकित्सक प्रोफेसर अभिषेक पाठक को अध्यक्ष का दायित्व देकर मुक्त हो गए। कानूनन इसे निवर्तमान अध्यक्ष कहा जाता है लेकिन मैं इसे नित वर्तमान अध्यक्ष के रूप में देखता हूं जो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हो उसके भीतर शामिल रहे। उसे अपना श्रेष्ठ सहयोग देते रहे। ज्ञान,अनुभव,आभा व आचरण के स्तर पर।

पिछले एक दशक से प्रो मिश्र को मैं विविध भूमिकाओं में  देखता रहा हूँ। न्यूरो चिकित्सक,अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एमएस व विभाग के अध्यक्ष के रूप में । सामूहिकता, निर्णयात्मकता, नेतृत्व क्षमता, सर्जनात्मक संयोजन व सामाजिकता जैसे गुणों का विरल सम्मिश्रण हैं प्रो मिश्र जो इन्हें सतत जागरूक बनाये रहता है।

अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के ठीक पहले 2021 में कोरोना के भीषण प्रकोप से जब चारों तरफ मरघट की शांति थी डॉक्टर मिश्र ने सोशल मीडिया व व्यक्तिगत माध्यम से इससे बचने के उपाय के बारे में लोगों को सतत जागरूक किया। दिसम्बर, 2021 में जब इन्होंने  अध्यक्ष का दायित्व संभाला तब कोरोना का उत्तर प्रभाव चल रहा था जो और भी डरावना था। अस्पताल  से लेकर घाट तक, सब तरफ का जीवन असुरक्षित था।ऐसे में ‘घाट चिकित्सका’ की न केवल पहल की बल्कि ‘बोट ओपीडी’ चलाकर काशी के घाट तक चिकित्सा व चिकित्सक को पहुंचाए थे अकेले लेकिन आवाहन सामूहिक था। उन्हीं दिनों मैं भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक के रूप में कार्य करते हुए इन्हें थोड़ा और करीब से जाना और कुछ ही समय में न्यूरो विभाग को सुपर स्पेशलिटी बिल्डिंग में लाकर उन्नत चिकित्सा की सुविधा भी उपलब्ध करवाई, जिसके क्रम में अगले साल अक्टूबर में IANCON नाम से एक महासम्मेलन प्रस्तावित हुआ है।इसी बीच किंचित शिथिल होते अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वाक विश्वविद्यालय के बीच प्रिय डॉ. अवधेश दीक्षित के साथ मिलकर ये तीर्थायन की ओर मुड़े और काशी की गलियों की सामाजिकता, सांस्कृतिक संदर्भ की शिनाख्त में शहर के अनेक लोगों से जुड़े।

इस यात्रा के आरंभ में मैं भी कुछ समय तक जुड़ा। उस समय एक चिकित्सक की सामाजिकता को जिस रूप में मैने देखा,वह यादगार है। इस पर विस्तार से कभी लिखूंगा। कुछ लिखा भी हूँ। बनारस को खुद भी बहुत करीब से देखा।

अपने विभाग के भीतर नेतृत्व की इनकी सहज व आकर्षक क्षमता को भी मैने देखा है। गत दिनों जिस समय विश्वविद्यालय के अनेक विभाग के प्रभारी अपने शिक्षको के ‘जरूरी कल्याण’ को लेकर चिंतित थे प्रोफेसर मिश्र बहुत आश्वस्त रहे और पूरे आत्मविश्वास के साथ उनके साथ खड़े दिखे और सम्पूर्ण सफलता भी पाए। आज न्यूरो विभाग में एक से एक सुयोग्य चिकित्सक हैं। सुपर स्पेशलिटी बिल्डिंग का एक पूरा फ्लोर ही विभाग के पास है। अपना ICU होने के साथ पर्याप्त बेड भी है। यह सब देखकर अच्छा लगता है।

मेरे लिए तो प्रोफेसर मिश्र हर समस्या के समाधान है।मरीज मऊ में हो, गोरखपुर में हो, बक्सर में हो या  बनारस के किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में आर्थिक शोषण का शिकार हो रहा हो ,जब जरूरत पड़ी इन्होंने मदद की और उसे बीएचयू में जगह दिलवाई।

ऐसे चिकित्सक के लिए मैं क्या दुआ दूंगा। क्या लिखूंगा। लोगों की दुआ ही बहुत है। चिकित्सक के हाथ दवा में उठते हैं। मरीज के हाथ दुआ में!
एक शानदार कार्यकाल की बधाई।आगे के लिए शुभकामना।
खूब यश बढ़े।आपकी सक्रियता यूं ही बनी रहे।#घाटवाक जारी रहे।

(प्रोफेसर श्रीप्रकाश शुक्ल के फेसबुक वॉल से)

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