Home वाराणसी राष्ट्रीय युवा महोत्सव 2025: बीएचयू की शुभांगी क्षितिजा ने विकास भी विरासत भी” विषय पर प्रधानमंत्री के समक्ष दी प्रस्तुति

राष्ट्रीय युवा महोत्सव 2025: बीएचयू की शुभांगी क्षितिजा ने विकास भी विरासत भी” विषय पर प्रधानमंत्री के समक्ष दी प्रस्तुति

by Ankita Yadav
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वाराणसी। राष्ट्रीय युवा महोत्सव 2025 के अंतर्गत विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 10 से 12 जनवरी तक भारतमंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में महिला महाविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की तृतीय वर्ष की छात्रा शुभांगी क्षितिजा सौरव ने “विकास भी विरासत भी” विषय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा “भारत के युवा विकसित भारत के अग्रदूत हैं। उनके पास नवाचार, जुनून और राष्ट्र की प्रगति के प्रति गहरी प्रतिबद्धता है। विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग ने इस भावना को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। आज का कार्यक्रम मेरे लिए अत्यंत यादगार रहा, जहां हमने सामूहिक रूप से आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी, स्थिरता, संस्कृति और सामाजिक कल्याण पर विचार साझा किए। मैं गर्वित हूं कि युवा नेताओं ने भारत के लिए अपनी दृष्टि इतनी प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत की।”  

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शुभांगी का चयन प्रधानमंत्री के साथ विशेष चर्चा और लंच के लिए भी हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों के साथ अपने जीवन के अनुभव साझा किए।

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यह लगातार दूसरा वर्ष है जब शुभांगी को युवा एवं खेल मंत्रालय द्वारा इस प्रतिष्ठित आयोजन में भाग लेने के लिए चयनित किया गया। उनकी इस उपलब्धि ने बीएचयू का मान बढ़ाया है।

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शुभांगी की प्रस्तुति भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक विकास के बीच सामंजस्य पर आधारित थी। उन्होंने प्राचीन भारतीय मूल्यों और आधुनिक प्रगति के संतुलन पर अपने विचार रखे। उनकी प्रस्तुति को काफी सराहना मिली। इससे पहले, शुभांगी ने नवंबर में क्षेत्रीय अंतरविश्वविद्यालय युवा महोत्सव में स्वर्ण पदक जीता था और मार्च में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अंतरविश्वविद्यालय युवा महोत्सव के लिए भी अर्हता प्राप्त की, जिसमें वे बीएचयू का प्रतिनिधित्व करेंगी।

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राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना और उन्हें राष्ट्र निर्माण में अपने विचारों और प्रयासों के माध्यम से योगदान देने के लिए प्रेरित करना है। शुभांगी की भागीदारी “विकसित भारत” के दृष्टिकोण को और सशक्त बनाती है।

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