Home वाराणसी कौन हैं वाराणसी के विवेक पांडेय, जिन्होंने Apple की लाखों की नौकरी छोड़कर चुना संन्यास जीवन, जीतेंद्रानंद सरस्वती से ली दीक्षा

कौन हैं वाराणसी के विवेक पांडेय, जिन्होंने Apple की लाखों की नौकरी छोड़कर चुना संन्यास जीवन, जीतेंद्रानंद सरस्वती से ली दीक्षा

by Ankita Yadav
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वाराणसी। सनातन धर्म के प्रति युवाओं का आकर्षण निरंतर बढ़ रहा है और इसी प्रेरणा से दो युवाओं ने अपने लाखों के पैकेज की नौकरी को छोड़कर पौष पूर्णिमा के पवित्र दिन संन्यास लेने का संकल्प लिया। मंगलवार को ‘अखिल भारतीय संत समिति’ के राष्ट्रीय महामंत्री, दंडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने इन दोनों युवाओं को मंत्र दीक्षा दी, जिससे वे आधिकारिक रूप से संन्यासी जीवन की ओर बढ़े। आइए जानते हैं इन दोनों युवाओं के बारे में…

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जानें वाराणसी के विवेक कुमार पांडे के बारे में

विवेक, जो एपल सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं, वाराणसी के पांडेयपुर क्षेत्र के निवासी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सीएचएस से प्राप्त की और बाद में बी.कॉम की डिग्री कानपुर से हासिल की। विवेक ने कोलकाता में रहकर सॉफ़्टवेयर का अध्ययन किया। उनका कहना है, “मैं भगवद गीता और रामचरितमानस का नियमित अध्ययन करता था। जब हम ‘जय श्री राम’ कहते हैं, तो इसका उद्देश्य उनके गुणगान से ज्यादा उनके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करना है। यही वास्तविक उद्देश्य है।”

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सनातन धर्म में युवाओं का बढ़ता आकर्षण

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स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के युवाओं में सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति बढ़ती रुचि एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि जब पूरी दुनिया गंभीर युद्धों और संकटों से जूझ रही है, प्रयागराज से विश्व कल्याण का उद्घोष सही दिशा में मार्गदर्शन कर रहा है। “आज जिन दोनों युवाओं ने दीक्षा प्राप्त की है, उनका कार्य सनातन धर्म को फैलाने में अत्यंत महत्वपूर्ण होगा,” उन्होंने आशा व्यक्त की।

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सनातन धर्म में संन्यास का महत्व

सनातन धर्म में जीवन के चार आश्रमों का उल्लेख किया गया है: ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम, और संन्यास आश्रम। संन्यास आश्रम का मुख्य उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है।
संन्यास का मतलब है सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर, निष्काम भाव से प्रभु का निरंतर स्मरण करना। शास्त्रों में संन्यास को जीवन की सर्वोत्तम अवस्था माना गया है, जो मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करता है। यही कारण है कि महाकुंभ जैसे आयोजनों में लोग संन्यास लेने के लिए जुटते हैं।

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महाकुंभ में संन्यास लेने की प्रक्रिया

  • गुरु दीक्षा के दौरान गुरु चोटी, गेरुआ वस्त्र, रुद्राक्ष, भभूत और जनेऊ प्रदान करते हैं।
  • गुरु, संन्यासी जीवनशैली, संस्कार, खानपान और रहन-सहन के बारे में शिक्षा देते हैं।
  • कुंभ के चौथे स्नान पर्व पर दीक्षांत समारोह में पूर्ण दीक्षा दी जाती है।
  • इस दिन व्रत रखा जाता है और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए गंगा में 108 डुबकियां लगानी होती हैं।
  • हवन का आयोजन भी किया जाता है।
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