Aashiq Masooq Dargah : आपने हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट, शाहजांह-मुमताज जैसी कई अमर प्रेम कहानियों के बारे में सुना होगा, जिनके मोहब्बत की मिसालें आज भी दुनिया देती है। प्यार के इस खास दिन यानी वेलेंटाइन डे पर आज हम आपको एक ऐसी ही प्रेम कहानी से रूबरू कराएंगे, जिनके प्यार की दास्तान सुन आपकी आंखे भी नम हो जाएंगी, क्योंकि जीते जी समाज के बंधनों ने उन्हें कभी एक ना होने दिया। आइए जानते है उनके अधूरे मोहब्बत की कहानी…
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हम जिन प्रेमियों की बात कर रहे है, वो थे यूसुफ और मरयम। कहा जाता है कि ईरान के यूसुफ और बनारस की मरयम की मोहब्बत परवान चढ़ी थी, लेकिन समाज के बंधनों ने उन्हें जीते जी एक नहीं होने दिया। यूसुफ अपने पिता मोहम्मद समद के साथ बनारस आए थे। अलईपुरा के मेले में उनकी मुलाकात मरयम से हुई और पहली नजर में दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे।
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बिछड़ने का दर्द बर्दाश्त न कर सका युसूफ
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मरयम के परिवारवालों को उनके रिश्ते की भनक लगी तो लोकलाज के डर से उन्होंने मरयम को रामनगर भेज दिया। मरयम से बिछड़कर यूसुफ बावला हो गया। उसने गंगा किनारे मरयम की चप्पल देखी और प्रेम में इतना डूब गया कि गंगा में छलांग लगा दी। तैरना न आने के कारण वह डूब गया। जब मरयम को इसकी खबर मिली, तो उसने भी खुद को गंगा की लहरों में समर्पित कर दिया।
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गंगा से निकला प्रेमी युगल का शव
कहा जाता है कि कुछ दिनों बाद गंगा से दोनों का शव निकला, उनके हाथ एक-दूसरे से जकड़े हुए थे। समाज भले ही उन्हें जीते जी मिलाने में नाकाम रहा, लेकिन मौत के बाद उन्हें एक कब्र में दफनाया गया, जहां आज यह मजार स्थित है। इस कब्रगाह का नाम है आशिक-माशूक की मजार (Aashiq Masooq Dargah), जो वाराणसी के सिगरा स्थित सिद्धगिरीबाग में मौजूद यह मजार 400 से भी अधिक साल पुरानी प्रेम कहानी की गवाह है।
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प्रेमी जोड़े अपनी मोहब्बत की सलामती और लंबी उम्र की दुआ मांगने आते हैं। खासकर 14 फरवरी के दिन इस जगह पर भारी भीड़ देखने को मिलती वैसे तो
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मजार की मान्यता:
यहां सच्चे प्रेमी मन्नत मांगते हैं और माना जाता है कि उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं। हर साल वेलेंटाइन वीक के दौरान यहां प्रेमी जोड़ों की भीड़ उमड़ती है।
अमर प्रेम का प्रतीक
वाराणसी की यह प्रेमगाथा बताती है कि सच्ची मोहब्बत को कोई मिटा नहीं सकता। जो प्रेमी जीते जी एक न हो सके, वो मौत के बाद अमर हो गए। यही कारण है कि आशिक-माशूक की यह मजार आज भी प्रेमियों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है।