वाराणसी। उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राकेश कुमार ने रविवार को सर्किट हाउस सभागार में सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत लंबित वादों के शीघ्र निस्तारण के संबंध में सभी विभागों के जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की।
इस बैठक में सूचना आयुक्त ने अधिकारियों से कहा कि आयोग स्तर पर पुराने लंबित वादों का निस्तारण तेजी से किया गया है, लेकिन जनपद स्तर पर जागरूकता की कमी के कारण कई वादों का निस्तारण नहीं हो पाता है, जिससे जनता में संदेह उत्पन्न होता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे बिना किसी कारण वादों को लंबित न रखें और निर्धारित समय सीमा के भीतर उनका निस्तारण सुनिश्चित करें।
सूचना देने में अनावश्यक विलंब पर सख्त रुख
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना देने में किसी भी प्रकार की अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए। सभी जनसूचना अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर सूचना प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि कोई सूचना अन्य विभाग से संबंधित हो तो उसे तुरंत संबंधित विभाग को भेजने और इस संबंध में स्पष्ट उल्लेख करने का निर्देश दिया।
उन्होंने अधिकारियों को सूचनाओं के अधिकार के बारे में गहन जानकारी दी और अपील तथा शिकायत के अंतर को स्पष्ट रूप से समझाया। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सूचना अधिकार कानून की मूलभूत जानकारी रखना चाहिए और सूचना देने में लोकहित को प्राथमिकता देनी चाहिए।
नेम प्लेट और समयसीमा का पालन
राज्य सूचना आयुक्त ने यह भी कहा कि सभी जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के कार्य स्थल पर उनकी नेम प्लेट लगनी चाहिए और सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सूचना का जवाब 30 दिनों के भीतर दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी सूचना का उत्तर नहीं दिया जा सकता, तो इसे स्पष्ट रूप से मना किया जाए और कारण भी दिए जाएं।
इस बैठक में संबंधित विभागों के जनसूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे।