
ट्रामा सेंटर विवाद: अब प्रोफेसर एसपी मिश्रा के खिलाफ ही दर्ज होगी FIR, जाने क्या है मामला
लंका थानाध्यक्ष को केस दर्ज कर विवेचना करने के आदेश




वाराणसी,भदैनी मिरर। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के ट्रामा सेंटर में आईएमएस के वरिष्ठ जनरल सर्जन प्रोफेसर शशि प्रकाश मिश्र के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करने की तैयारी है। हालाँकि घटना के बाद ही प्रोफेसर शशि प्रकाश मिश्र ने खुद के साथ दुर्व्यवहार का शिकायत पत्र चीफ प्रॉक्टर के माध्यम से स्थानीय थाना लंका को दिया था। उधर, ट्रॉमा सेंटर के कैंटीन में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कमलेश कुमार गोंड़ के प्रार्थना पत्र पर विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) देवकान्त शुक्ला की अदालत ने लंका इंस्पेक्टर को प्रोफेसर शशि प्रकाश सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर विवेचना करने का हुक्म दिया है।


कोर्ट को कर्मचारी कमलेश कुमार गोंड़ ने बताया है कि डॉ. शशि प्रकाश मिश्रा और उनके सहयोगियों द्वारा लगातार जातिसूचक शब्दों, गालियों और अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा। घटना 24 मई 2025 को शुरू हुई, जब डॉ. मिश्रा ने उसे चाय और नाश्ता लाने को कहा और मना करने पर गाली गलौज की। 26 मई को दोबारा इसी प्रकार की घटना घटी, जब उसके विरोध पर डॉ. मिश्रा ने कुर्सी को लात मारी और गालियाँ दीं।


घटना की जानकारी देने के लिए थाना लंका, सहायक पुलिस आयुक्त भेलूपुर, पुलिस आयुक्त वाराणसी और आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने कोर्ट का रुख किया। प्रार्थी ने घटना के समर्थन में फोटोग्राफ, वीडियो फुटेज (पेन ड्राइव में), शिकायत पत्रों की प्रतियां, जाति प्रमाण पत्र आदि प्रस्तुत किए। कोर्ट ने माना कि प्रस्तुत साक्ष्य प्रथम दृष्टया गंभीर हैं और विवेचना आवश्यक है।

पहले से आक्रोशित है सर्जरी विभाग के जूनियर चिकित्सक
प्रोफेसर मिश्रा ने जब से साथ हुए दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है, तब से सर्जरी विभाग के जूनियर चिकित्सक आक्रोशित है। अंदर ही अंदर वह ट्रामा सेंटर प्रभारी और बाउंसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है। पिछले दिनों जूनियर चिकित्सकों ने आईएमएस निदेशक प्रोफेसर एस. एन संखवार का घेराव कर कार्रवाई की मांग कर चुके है। कोर्ट के आदेश पर केस रजिस्टर्ड होते ही तनाव बढ़ने के आसार है। इस पूरे मामले में अब तक आईएमएस निदेशक की भूमिका मध्यस्थता की रही है।
जाने कबसे शुरु हुआ षड्यंत्र
डा. शशि प्रकाश मिश्र ने 26 मई को ही सबसे पहले मुख्य आरक्षाधिकारी को पत्र देकर बताया कि सोमवार की सुबह 9.40 बजे वह ट्रामा सेंटर ड्यूटी पर पहुंचे। पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के बाद अंदर जाने लगे तो रास्ते में रोड बीन कैंटीन की कुर्सियों से रास्ता अवरूद्ध होने पर वहां मौजूद स्टाफ से बहस होने लगी। इसके बाद स्टाफ ने ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डा. सौरभ सिंह और उनके साथ बाउंसरों को बुला लिया। आरोप लगाया कि डा. सौरभ सिंह के इशारे पर बाउंसरों ने उनके साथ बदतमीजी की। जबकि डायरेक्टर क्रिटिकल केयर ब्लाक के निरीक्षण पर आनेवाले थे, इसके लिए उन्हें बुलाया गया था।
आरोप लगाया था कि डॉक्टर मिश्रा के बताने के बावजूद डा. सौरभ के इशारे पर बाउंसर आशीष सिंह ने उन्हें पकड़कर रोका और दुर्व्यवहार किया। डा. सौरभ सिंह से डॉक्टर एसपी मिश्रा ने शिकायत की तो उन्होंने बाउंसर के आचरण को उचित ठहराया। अपने स्टाफ से ट्रमा सेंटर गेट बंद करवा दिया और मुझे वहां से जाने के लिए कहा गया। ट्रामा सेंटर प्रभारी का यह व्यवहार घोर आपत्तिजनक हैं और उन्होंने मांग किया कि काम में बाधा पहुंचाने वाले बाउंसर आशीष सिंह के खिलाफ लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया जाय। हालाँकि उनकी तहरीर पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
आखिर चार साल से कैसे बने है प्रभारी
प्रोफेसर डॉक्टर शशि प्रकाश मिश्र ने सवाल उठाये है कि जब विश्वविद्यालय में हेडशिप के लिए तीन वर्षों का कार्यकाल निर्धारित है तो किस आधार या नियम से वह पिछले चार सालों से ट्रामा सेंटर के प्रभारी बने हुए है। आरोप लगाया कि जब भ्रष्टाचार के कई मामलों में उनके खिलाफ जाँच चल रही है तो क्या ट्रामा सेंटर में कोई काबिल प्रोफेसर नहीं जो ट्रामा सेंटर को संभाल सके।
आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ डॉक्टर सौरभ सिंह के बाउंसरों ने अभियान चला रखा है, उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का कोई भी मेंबर ऐसा नहीं कर सकता , इन सबके बाद भी हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है और करवाई न होने पर हम आगे बढ़ेंगे।

