
BHU ट्रामा सेंटर विवाद: प्रोफेसर डा. शशि प्रकाश मिश्र ने उठाए कई गंभीर सवाल, डायरेक्टर बोले- जाँच के लिए कमेटी गठित
लगातार चार सालों से किस आधार बने है ट्रामा सेंटर प्रभारी




वाराणसी, भदैनी मिरर। बीएचयू के जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डा. शशि प्रकाश मिश्र के साथ ट्रामा सेंटर में हुए दुर्व्यवहार के मामले में आईएमएस निदेशक ने जाँच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी एक सप्ताह के भीतर अपनी विस्तृत जाँच रिपोर्ट निदेशक को सौपेंगी। इसके साथ ही सीनियर प्रोफ़ेसर डा. शशि प्रकाश मिश्र के साथ दुर्व्यवहार करने वाले बाउंसरों के खिलाफ चीफ प्रॉक्टर को कार्रवाई के लिए निदेशक ने निर्देश दिए है।
मंगलवार को प्रोफ़ेसर शशि प्रकाश मिश्र ने भ्रष्टाचार से लेकर कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जाँच के बाद यदि कार्रवाई नहीं होती है तो यह उनके सम्मान की लड़ाई है वह पिछने हटने वाले नहीं है।


वहीं , निदेशक आईएमएस एस. एन संखवार ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कमेटी रिपोर्ट के आने की बात कही। इसके साथ ही लगातार आरोपों से घिरे होने के बाद भी पिछले चार सालों से ट्रामा सेंटर प्रभारी के पद पर बने रहने के सवाल पर आईएमएस निदेशक ने कहा कि यह फैसला उच्चाधिकारियों का है। अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर बाउंसरों की तैनाती के सवालों पर उनके पास भी स्पष्ट उत्तर नहीं था, टालमटोल करते हुए उन्होंने बाउंसरों की भूमिका के समीक्षा की बात कही।


पेश है प्रोफ़ेसर डा. शशि प्रकाश मिश्र के बयान का अंश
प्रोफेसर डॉक्टर शशि प्रकाश मिश्र ने बताया कि वह कल (सोमवार) ट्रॉमा सेंटर में सुबह 9.40 बजे ड्यूटी पर पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्किंग से ट्रामा सेंटर जाने वले रास्ते पर रोड बीन कैंटीन की कर्मचारी कुर्सियों से रास्ता अवरूद्ध रखते है। सोमवार को भी कुर्सियां रखी थी, उन्होंने पैर से मारकर आगे बढ़ गए। जैसे ही वह सीढ़ियों के पास पहुंचे इतने में कैंटीन का मैनेजर चिल्लाते हुए बुलाया और दुर्व्यवहार शुरु कर दिया। इसके बाद मैनेजर ने ट्रामा सेंटर प्रभारी को बुलाया। आरोप लगाया कि उनके ही शह पर मैनेजर, कर्मचारी दुर्व्यवहार कर रहे थे, उन सबके सामने ही ट्रामा सेंटर प्रभारी ने उन्हें शारीरिक चोट पहुँचने के उद्देश्य से दौड़े। इसके आलावा उनके बाउंसर आशीष सिंह और धनंजय राय के आलावा दो-तीन अन्य जो सादे कपड़ों में रहते है उन्होंने पकड़कर रोका और दुर्व्यवहार किया। आरोप है कि जब प्रोफेसर डॉक्टर शशि प्रकाश मिश्र ने डा. सौरभ सिंह से शिकायत की तो उन्होंने बाउंसर के आचरण को उचित ठहराया।

आखिर चार साल से कैसे बने है प्रभारी
प्रोफेसर डॉक्टर शशि प्रकाश मिश्र ने सवाल उठाये कि जब विश्वविद्यालय में हेडशिप के लिए तीन वर्षों का कार्यकाल निर्धारित है तो किस आधार या नियम से वह पिछले चार सालों से ट्रामा सेंटर के प्रभारी बने हुए है। आरोप लगाया कि जब भ्रष्टाचार के कई मामलों में उनके खिलाफ जाँच चल रही है तो क्या ट्रामा सेंटर में कोई काबिल प्रोफेसर नहीं जो ट्रामा सेंटर को संभाल सके।
आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ डॉक्टर सौरभ सिंह के बाउंसरों ने अभियान चला रखा है, उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का कोई भी मेंबर ऐसा नहीं कर सकता , इन सबके बाद भी हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है और करवाई न होने पर हम आगे बढ़ेंगे।
दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसी घटनाएं
पूरे प्रकरण में जब आईएमएस निदेशक प्रोफेसर एस. एन संखवार ने बताया कि हमारे प्रोफेसर के खिलाफ कैंटीन के कर्मचारी ने थाने में जाकर लिखित शिकायत दी है, आरोप लगाया कि उनके साथ मिसबिहैव हुआ है। पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक प्रोफेसर के खिलाफ कर्मचारी तहरीर दे उसमें एससी-एसटी के मामले जोड़े जाए।
डायरेक्टर ने बताया कि उनके संज्ञान में आया है कि वहां पर जो रास्ता था वहां कुर्सी वगैरह रख करके पता नहीं क्यों रोका गया था। जब प्रोफ़ेसर साहब ने देखा कुर्सी रखी है उन्होंने पैर से हटा दिया और इसके बाद वहां सुरक्षा कर्मचारी थे उन्होंने आकर के उसमें विवाद पैदा किया जो कि नहीं होना चाहिए था। रास्ता अगर है तो रास्ते की तरह रहना चाहिए वहां कुर्सी रखकर ब्लॉक नहीं करना चाहिए और एक सीनियर प्रोफेसर थे हर कोई पहचानता था जो पहचानते थे पहले से डॉक्टर के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए था।
आगे कहा कि पीड़ित प्रोफेसर साहब ने लिखकर दिया कि जो कर्मचारी हैं जिन्होंने दुर्व्यवहार किया है उनको वहां से हटाया जाए। उनको हटाने के लिए चीफ प्रॉक्टर साहब को लिख दिया गया है और उनसे वार्ता भी करके कह दिया जाएगा। पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है, रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

