Home वाराणसी काशी के दूसरे सबसे बड़े अखाड़े की निकली पेशवाई : 10 भव्य रथों पर विराजमान हुए श्रीमहंत और महंत

काशी के दूसरे सबसे बड़े अखाड़े की निकली पेशवाई : 10 भव्य रथों पर विराजमान हुए श्रीमहंत और महंत

by Ankita Yadav
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वाराणसी। महाकुंभ के समापन के बाद अब काशी में अखाड़ों की पेशवाई का दौर शुरू हो गया है। काशी के दूसरे सबसे बड़े अखाड़े श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की भव्य पेशवाई मंगलवार को भगवान प्रथमेश की अगुवाई में कबीरचौरा से निकली। इस शोभायात्रा में 10 भव्य रथों पर श्रीमहंत और महंत विराजमान हुए, जबकि 500 से अधिक नागा साधु पेशवाई में शामिल हुए।

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गणेश पूजा के बाद निकलेगी पेशवाई

कबीरचौरा अखाड़े में मंगलवार सुबह साधु-संत अपने आराध्य भगवान गणेश और अखाड़े के निशान की पूजा-अर्चना किए। इसके बाद खिचड़ी भोज का आयोजन हुआ, जिसके उपरांत शोभायात्रा की शुरुआत हुई। अखाड़े के महामंत्री सत्य गिरि महाराज ने बताया कि इस पेशवाई में पीठाधीश्वर आचार्य मंडलेश्वर अवधूत अरुण गिरि महाराज के साथ मंडलेश्वर, श्रीमहंत और अन्य संतगण बग्घी पर विराजमान हुए।

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भव्य शोभायात्रा का रुट

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पेशवाई में बैंड-बाजा, घोड़े और आकर्षक झांकियां भी शामिल रही। यह शोभायात्रा मैदागिन, चौक और गोदौलिया होते हुए दशाश्वमेध घाट पहुंची। यहां भगवान प्रथमेश और अखाड़े के निशान की पूजा-अर्चना के साथ विशेष आरती हुई और संतों का शाही स्वागत किया गया।

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काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्थित श्रीशंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा की स्थापना छठी शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी। इसे पहले आवाहन सरकार के नाम से जाना जाता था। सत्य गिरि महाराज के अनुसार, इस अखाड़े के आराध्य देव प्रथम पूज्य श्री सिद्ध गणेश हैं, क्योंकि किसी भी देवता का आवाहन गणेश जी के माध्यम से ही किया जाता है।

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इतिहास के अनुसार, गुजरात में मुगलों के साथ हुए युद्ध में नागा साधुओं को धोखे से जहर देकर मार दिया गया था। इस घटना के कारण आज भी नागा साधु गुजरात का पानी नहीं पीते। इसी तरह मध्यप्रदेश के छतरपुर में भी नागा साधुओं की समाधियां स्थित हैं, जो उनके वीर बलिदान की गवाही देती हैं।

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