महाकुंभ 2025 : प्रयागराज में आज 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ (Mahakumbh 2025) का शुभारंभ हो गया है, जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। यह आयोजन सनातन धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। मान्यता है कि हर 12 साल बाद आयोजित होने वाले इस महापर्व में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं। आज पहले दिन ही साधु-संत शाही स्नान (Shahi Snan) करते है, जिसका महाकुंभ में विशेष महत्व माना जाता है, आइए जानते है कि ये शाही स्नान इतना खास क्यों होता है।
पहला शाही स्नान
महाकुंभ का पहला शाही स्नान 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन होगा।
पूर्णिमा तिथि का समय:
- शुरुआत: 13 जनवरी, सुबह 5:03 बजे
- समाप्ति: 14 जनवरी, रात 3:56 बजे
शाही स्नान का मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:27 बजे से सुबह 6:21 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:15 बजे से 2:57 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:42 बजे से शाम 6:09 बजे तक
144 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
इस महाकुंभ को खास बनाने वाला एक अनोखा संयोग है। 144 साल बाद, सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति समुद्र मंथन के दौरान बने शुभ योग से मेल खा रही है। इस दिन रवि योग भी बन रहा है। मान्यता है कि रवि योग में स्नान और सूर्यदेव की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
शाही स्नान का महत्व
शाही स्नान केवल शरीर को नहीं, बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है। संगम में शाही स्नान करने से न केवल व्यक्ति बल्कि उसके पितरों की आत्मा भी तृप्त होती है।
शाही स्नान के नियम
- गृहस्थ लोगों को नागा साधुओं के बाद स्नान करना चाहिए।
- स्नान के दौरान कम से कम 5 डुबकियां अवश्य लगाएं।
- स्नान के समय साबुन या शैंपू का इस्तेमाल न करें।
शाही स्नान क्यों खास है?
महाकुंभ में हर दिन का स्नान कल्याणकारी माना जाता है, लेकिन विशेष तिथियों पर किए जाने वाले स्नान को शाही स्नान कहा जाता है। इस दौरान साधु-संत हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर राजसी भव्यता के साथ संगम में स्नान करते हैं। इस शानदार परंपरा के कारण इसे शाही स्नान का नाम दिया गया है।
महाकुंभ का यह भव्य आयोजन आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक उत्साह से भरा होता है, जो लाखों श्रद्धालुओं को मोक्ष का मार्ग प्रदान करता है।