वाराणसी। बनारस के अस्सी घाट पर ‘फ्री हग डे’ के बैनर तले एक अनोखा आयोजन हुआ, जिसमें मानवता, प्रेम, और सहिष्णुता का संदेश खुलेआम गले मिलने के माध्यम से दिया गया।
यह कार्यक्रम बनारस क्वियर प्राइड समूह द्वारा आयोजित किया गया था, जो प्राइड माह के तहत कई जागरूकता अभियानों की श्रृंखला का हिस्सा था। यह आयोजन तीसरे वर्ष भी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
उत्सुकता का केंद्र बने फ्री हग पोस्टर
छात्रों और युवाओं से भरे अस्सी घाट पर जब एलजीबीटी+ समुदाय के सदस्य ‘फ्री हग’ लिखे पोस्टर और प्रेम-संदेश की तख्तियां लेकर पहुंचे, तो यह लोगों के लिए कौतुहल और आकर्षण का केंद्र बन गया। उन्होंने अपनी पहचान बताते हुए लोगों से सवाल किया, हम समलैंगिक, ट्रांसजेंडर, क्वियर, और नॉन-बाइनरी हैं। क्या आप हमें गले लगाकर अपनाएंगे?”
इस पहल की शुरुआत घाट पर काम करने वाले गरीब बच्चों और तीर्थयात्रियों से हुई, जिन्हें गले लगाकर आत्मीयता का अनुभव कराया गया।
कार्यक्रम की संयोजक नीति ने बताया कि यह आयोजन प्राइड माह के तहत चल रही गतिविधियों का हिस्सा है। इन गतिविधियों में पोस्टर प्रतियोगिता, रंगोली आर्ट, फिल्म स्क्रीनिंग, ओपन माइक जैसे इवेंट्स शामिल हैं। प्राइड वॉक या मार्च के साथ यह कार्यक्रम गौरवपूर्ण तरीके से समाप्त होगा। आयोजन की पूरी जिम्मेदारी एलजीबीटी+ समुदाय ने संभाली है।
एलजीबीटी+ समुदाय से जुड़े होने को अब अपराधबोध नहीं माना जाता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसलों में इस समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अध्ययनों ने साबित किया है कि एलजीबीटी+ समुदाय मानसिक या शारीरिक अक्षमता से पीड़ित नहीं है। फिजियोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल अध्ययन बताते हैं कि यह समुदाय शिक्षा, व्यवसाय, संबंध, और समाज में किसी भी अन्य व्यक्ति के समान क्षमता रखता है।
लैंगिक मुद्दों पर नई शिक्षा नीति का योगदान
नई शिक्षा नीति के तहत लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। यह समाज में लैंगिक समानता और समझदारी को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस आयोजन में परीक्षित, अनन्या मीठी, नीति, अन्नू, रागिनी, आर्या, अनुराग, हेतवी, अनामिका, आरोही, अंकित, विभु, साहिल, उत्कर्ष, नेहा, दिया, नीरज, उमेश, धनंजय समेत कई लोग मौजूद रहे।
फ्री हग डे’ ने बनारस की गंगा-जमुनी तहज़ीब को नई ऊंचाई दी, जहां प्रेम, स्वीकृति और समानता का संदेश हर कोने में गूंजा।