वाराणसी: समाज में समान शिक्षा के अवसर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आशा ट्रस्ट द्वारा संचालित पहल के तहत बुधवार को कुर्सिया, डुढुवा, और चंद्रावती के परिषदीय विद्यालयों में बाल साहित्य उपलब्ध कराया गया। इस अवसर पर आशा बाल पुस्तकालय की श्रृंखला का शुभारंभ किया गया, जो बच्चों में पढ़ने की रुचि बढ़ाने और उनके व्यक्तित्व विकास को प्रोत्साहित करेगा।
बच्चों में पढ़ने की आदत जरूरी: वल्लभाचार्य पाण्डेय
कार्यक्रम के दौरान आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा, “बदलते समय में बच्चों में पढ़ने की रुचि घट रही है, जो उनके सर्वांगीण विकास में बाधा बन सकती है। पढ़ने की आदत उन्हें जागरूक बनाएगी और सोशल मीडिया पर मिलने वाली अधूरी व असत्य जानकारियों से बचने की क्षमता विकसित करेगी।
आशा ट्रस्ट पिछले तीन वर्षों से एक देश समान शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में बाल साहित्य प्रदान कर रहा है। अब तक संस्था ने कुल 15 आशा बाल पुस्तकालयों की स्थापना की है। कार्यक्रम संयोजक दीन दयाल सिंह ने बताया कि रोचक बाल साहित्य का चयन देश के प्रतिष्ठित प्रकाशकों से किया गया है, ताकि बच्चों में पढ़ने की रुचि बढ़े। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में राजवारी, चौबेपुर और धौरहरा संकुल के अन्य विद्यालयों में भी इस पुस्तकालय श्रृंखला को विस्तारित करने की योजना है।
पुस्तकों से व्यक्तित्व विकास: खंड शिक्षा अधिकारी
कार्यक्रम में खंड शिक्षा अधिकारी नागेंद्र सरोज ने कहा कि किताबें व्यक्तित्व विकास का अहम साधन हैं।”उन्होंने कहा पुस्तकों के माध्यम से बच्चे न केवल परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनते हैं, बल्कि वे देश और प्रकृति के प्रति भी जागरूक हो सकते हैं। डॉ. सुमन कुमारी, शिक्षिका, ने तकनीकी युग में बाल साहित्य के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि बच्चों को किताबों के करीब लाना बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन** द्वारा अपने पुत्र के शिक्षक को लिखे पत्र को भी प्रदर्शित किया गया। इसमें उन्होंने शिक्षक से अनुरोध किया है कि बच्चों को स्थानीय परिवेश और ज्ञान से जोड़ते हुए अधिकतम पुस्तकों को पढ़ने की प्रेरणा दी जाए।
इस आयोजन में प्रमुख रूप से प्रदीप सिंह, बृजेश कुमार, सौरभ चंद्र, राजेश रौशन, मदन गोपाल सिंह, सुरेश राम, रीना वर्मा, प्रवीण चौबे, रेखा दुबे, मनीष जायसवाल, धर्मेंद्र यादव सहित कई लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन आशा ट्रस्ट की इस अद्वितीय पहल को विस्तार देने के संकल्प के साथ हुआ।