Home नेशनल काशी तमिल संगमम के अकादमिक सत्र में बोले विदेश मंत्री- पूरे भारत के लिए सांस्कृतिक चुंबक की तरह है काशी 

काशी तमिल संगमम के अकादमिक सत्र में बोले विदेश मंत्री- पूरे भारत के लिए सांस्कृतिक चुंबक की तरह है काशी 

by Bhadaini Mirror
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वाराणसी, भदैनी मिरर। देश के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर रविवार को काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में शामिल होने तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों और विदेशी राजनयिकों के साथ वाराणसी पहुंचे. वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में ’परंपरा, प्रौद्योगिकी और विश्व, विषय पर आयोजित अकादमिक सत्र में हिस्सा लिए. विदेश मंत्री ने काशी की प्राचीनता और आध्यात्मिकता का जिक्र कर कहा कि काशी-तमिल संगमम काशी और तमिलनाडु के बीच विशेष सदियों पुराने जुड़ाव का उत्सव है. प्राचीन नगरी काशी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है. पूरे भारत के लिए काशी एक तरह से सांस्कृतिक चुंबक की तरह है. जिससे देश के सभी हिस्सों के लोग गहराई से जुड़ते हैं.

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विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, जो अक्सर लोगों को आश्चर्यचकित करता है कि इतनी सारी भाषाओं, परंपराओं और मान्यताओं के बावजूद यह देश कैसे एक साथ बना हुआ है. यह विविधता और इसमें अंतर्निहित एकता सभी भारतीयों को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रखती है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोगों का काशी से विशेष लगाव है और काशी तमिल संगमम इसी अनूठे बंधन का उत्सव है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी-तमिल संगमम आयोजित करने का जब फैसला किया था, तो इसका उद्देश्य यह था कि भारत संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम बने.

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विदेश मंत्री ने कहा कि काशी-तमिल संगमम इस विविधता में एकता के उत्सव का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है, जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की थी. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की गौरवशाली विरासत का जश्न मनाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी तरह हम इसे आने वाली पीढ़ियों तक ले जाते हैं. साथ ही दुनिया को भारत के सुनहरे अतीत और जड़ों की महानता के बारे में बताते हैं.

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प्रतिनिधियों के सवालों का जबाब दिया

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विदेश मंत्री ने तमिल प्रतिनिधि राजगोपालन के एक प्रश्न का उत्तर भी दिया. प्रतिनिधि ने पूछा कि काशी में इस विशेष उत्सव के अवसर पर विदेश मंत्री किन प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालना चाहेंगे. डॉ. जयशंकर ने कहा कि परंपरा प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में मदद करती है और यहीं पर भारतीय ज्ञान प्रणाली सामने आती है. उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय ड्रोन प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उन्नत वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं और उम्मीद है कि भविष्य में संस्थान कई और आशाजनक उपक्रम लेकर आएंगे. मंत्री एक तमिल प्रतिनिधि रूथ्रन के प्रश्न का उत्तर दे रहे थे, जिन्होंने उल्लेख किया कि भारत अतीत में एक प्रौद्योगिकी नेता रहा है और इनमें से कई तकनीकों को भारत से दुनिया के साथ साझा किया गया था.

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गौरतलब हो कि काशी तमिल संगमम के इस अकादमिक सत्र में 45 देशों के राजदूत और डिप्लोमेट्स ने भी भाग लिया. संवाद में इरीट्रिया के राजनयिक ने काशी की यात्रा करने और दो महान संस्कृतियों के एकीकरण को देखने के विशेष अवसर की सराहना की. उन्होंने अपने भारतीय शिक्षकों को याद किया जो भारत की संस्कृति, इसके लोगों और इसकी विरासत के बारे में बताते थे. उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों के बीच के बंधन को स्वीकार किया जो उन्हें एक बनाता है. इसी तरह रवांडा के उप उच्चायुक्त ने कहा कि भारतीयों द्वारा महसूस की जाने वाली एकजुटता कुछ ऐसी चीज है जिससे दुनिया भर के लोगों को सबक लेना चाहिए.

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