वाराणसी, भदैनी मिरर। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को समर्पित 51वां पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला का आगाज शनिवार को तुलसी घाट स्थित ध्रुपद तीर्थ से हो गया. अब अगले पांच दिनों तक देश-विदेश के कलाकार सुर, लय और ताल की त्रिवेणी प्रवाहित करेंगे. देशभर के घरानों के कलाकार हाजिरी लगाने पहुंचेंगे. महाराजा बनारस विद्या मंदिर न्यास एवं ध्रुपद समिति की ओर से अर्ध शताब्दी को पार कर चुके ध्रुपद मेले का शुभारंभ शनिवार की शाम सात बजे संयोजक संकटमोचन मंदिर के महंत विश्वंभर नाथ मिश्र व संगीतज्ञ पं. राजेश्वर आचार्य ने किया. इसके बाद पूरी रात संगीत की गंगा प्रवाहित हो रही है.
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अन्तर्राष्ट्रीय ध्रुपद मेला का उद्घाटन करते हुए संकटमोचन मंदिर के महंत एवं संयोजक प्रो विश्वभरनाथ मिश्र ने कहा कि ध्रुपद की गरिमा को श्रेष्ठ कला साधकों के माध्यम से संरक्षित कर रहे हैं. काशी में ध्रुपद पूरी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सांगितिक साधना का मंच है. ध्रुपद में प्राचीन वाद्ययंत्रों का भी संरक्षण हो रहा है. कला, संगीत, अध्यात्म, परंपरा और संस्कारों को काशी का तुलसीघाट संरक्षित करता है. ध्रुपद में दुनिया के हर देशों से श्रोता और कलाकार दोनों आते हैं. उन्होंने कहा संगीत सीखने में उम्र की दीवार आड़े नहीं आती,बस लगन और उत्साह मन में रहना चाहिए. उन्होंने कहा भगवान से सीधा संवाद के लिए संगीत साधना भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण मार्ग है. काशी अच्छी चीजों का पोषण करता है.
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उन्होंने आगे कहा ध्रुपद भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण पहचान है. संगीत सबको प्रेम से जोड़ता है वैमनस्यता कभी भी स्वीकार नहीं करता है. काशी राज परिवार से इस आयोजन को भरपूर सहयोग मिलता है. समारोह की पहली निशा में प्रख्यात सुर बहार साधक पं देवव्रत मिश्र ने ध्रुपद रागों की सुर बहार पर अवतारणा कर देशी- विदेशी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. बताते चलें कि पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला में कुल 55 कलाकार अपनी हाजिरी लगायेंगे.
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