वाराणसी। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.वी.सी.एच.) में पिछले 6 सालों में 1,27,105 कैंसर मरीजों का पंजीकरण हुआ है। कैंसर मरीजों को इलाज देने के साथ ही अब ये संस्थान शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
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अस्पताल द्वारा हाल ही में जहां कैंसर के क्षेत्र में बेसिक रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए समर्पित लैब की स्थापना की गई, वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू. जी. सी.) द्वारा ए.म.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. को होमी भाभा नेशनल इंस्टिट्यूट (डीम्ड विश्वविद्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार) का ऑफ साइट कैंपस का भी दर्जा मिला है, जिससे यहां मेडिकल ऑकोलॉजी, सर्जिकल ऑकोलॉजी, रेडिएशन ऑकोलॉजी, ऑकोपैथोलॉजी एवं एनिस्थिसियोलॉजी सहित स्नातकोत्तर एवं सुपर स्पेशिलिटी के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज उपलब्ध कराने के लिए इन दोनों अस्पतालों में हर साल नई सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है, ताकि कैंसर मरीजों को इलाज के लिए बड़े शहरों के चक्कर न लगाने पड़े। पिछले साल शुरू हुई नई सेवाओं एवं सुविधाओं में मुख्य रूप से अतिरिक्त लीनियर एक्सलरेटर रेडिएशन मशीन, अतिरिक्त सीटी सिम्यूलेटर, मशीन, बैरियर लॉड्री, कम्पोस्ट मशीन इत्यादि।
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हर साल बढ़ रहे आंकड़ेः
टाटा स्मारक केंद्र, मुंबई के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने बताया कि मरीजों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। 2018 में जब अस्पताल शुरू हुआ था तब कुल 6307 मरीजों का पंजीकरण हुआ था, जो 2024 में बढ़कर 26,732 हो गया। 2018 से लेकर अब तक दोनों अस्पतालों में 1,27,105 मरीजों का पंजीकरण, 65,000 मरीजों की सर्जरी, 15,363 मरीजों को रेडियोथेरेपी और 4 लाख से अधिक कीमोथेरेपी की जा चुकी है।
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मरीजों के बढ़ते आंकड़े चिंतनीय है, हालांकि इसमें काफी हद तक बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता और घर के पास एक ही छत के नीचे कैंसर से जुड़ी सभी सुविधाएं मिलना भी है। गुणवत्तापरक और किफायती इलाज उपल्बध होने से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीज भी इलाज के लिए यहीं आते हैं।
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दो लाख से अधिक लोगों की कैंसर स्क्रीनिंगः
किसी भी बीमारी की समय रहते पहचान होने से न केवल बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है, बल्कि इसके प्रभावी प्रबंधन में भी मदद मिलती है। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए अस्पताल द्वारा विभिन्न तरह के जांच अभियान चलाए जा रहे हैं और अब तक 2 लाख से अधिक लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें 1,68,000 महिलाओं की स्क्रीनिंग शामिल है। स्क्रीनिंग में मुख्य रूप से मुह का कैंसर, स्तन कैंसर एवं गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर शामिल है।
350 करोड़ रुपये का निःशुल्क इलाजः
कैंसर का इलाज लंबे समय तक चलने के कारण कई बार मरीज इलाज पूरा करने में असमर्थ होते हैं। वहीं अस्पताल आने वाले ज्यादतर कैंसर मरीज आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं। ऐसे मरीजों को इलाज में मदद करने के लिए अस्पताल में चिकित्सकीय समाजिक विभाग (एम.एस.डब्ल्यू.) है, जो अब तक 38,262 मरीजों को विभिन्न प्रकार की सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से जुड़ी योजनाओं के जरिए 350 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का इलाज उपलब्ध करा चुका है।
विभाग द्वारा न केवल ऐसे मरीजों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जाता है, बल्कि उसके लिए सभी तरह के कागजी कार्रवाई में भी मदद की जाती है।
दान दाताओं का आभारः डॉ. गुप्ता ने आगे बताया कि मरीजों की संख्या में हो रही बढ़तोरी को देखते हुए नई सुविधाओं के साथ साथ वर्तमान सेवाओं का विस्तारण भी बेहद जरूरी है, जिसे कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सी.एस.आर.) के जरिए पूरा किया जा रहा है। अब तक अस्पताल को 136 करोड़ रुपये से अधिक का सीएसआर मिल चुका है, जिसके लिए हम सभी दानदाताओं का शुक्रगुजार हैं। इन राशि से अस्पताल में कई तरह की सुविधाएं मरीज हित को देखते हुए शुरू की गई हैं। अस्पताल में उत्तर प्रदेश सरकार, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, नॉर्दन कोल फिल्डस लिमिटेड, आई.सी.आ.सी.आई. बैंक, ए.च.डी.एफ.सी. बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, अल्केम लैबोरेट्रीज, सी.ई.आई.एल., एडसिल, सिडबी इत्यादि कंपनियां सीएसआर के तहत मदद कर रही हैं