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योग गुरू पद्मश्री बाबा शिवानंद का आज होगा अंतिम संस्कार

तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बाबा को किया था सम्मानित

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शनिवार की रात बीएचयू अस्पताल में बाबा ने किया महाप्रयाण

अंतिम दर्शन के लिए अनुयायियों, विशिष्ट और अतिविशिष्टों के आश्रम पर आने का क्रम जारी

वाराणसी, भदैनी मिरर। सर्व विद्या की राजधानी काशी के 129 वर्षीय काशी के संत और योग गुरू पद्मश्री शिवानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके अनुयायियों में शोक की लहर है। उनके महाप्रयाण के बाद पार्थिव शरीर को भेलूपुर थाना क्षेत्र के दुर्गाकुंड स्थित कबीरनगर स्थित आश्रम में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया है। शनिवार की रात योगी ने अपना शरीर छोड़कर परलोक की ओर महाप्रयाण कर दिया था। बताया गया कि उनका अंतिम संस्कार सोमवार को हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा। हालांकि काशी की परम्पराओं और मान्यताओं के अनुसार उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर होना निश्चित है। लेकिन उनका यह मत शास्त्रोक्त नही है। हालांकि बाबा के महाप्रयाण की सूचना पर कबीनगर स्थित आश्रम पर भक्तों के अलावा विशिष्ट, अतिविशिष्ट लोगों के आने का क्रम बना रहा। 

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बाबा के जीवन का आधार था योग

गौरतलब है कि योग गुरु शिवा नंद का शनिवार की रात बीएचयू अस्पताल में निधन हो गया। आश्रम से जुड़े डॉ. देवाशीष ने बताया कि योग गुरु ने शनिवार की रात 8.30 बजे योग गुरू ने अंतिम सांस ली। बाबा शिवानंद अन्न नहीं ग्रहण करते थे। योग साधना में निपुण बाबा शिवानंद समाज के लिए प्रेरणाश्रोत रहे। वह प्रयागराज महाकुंभ में भी स्नान करने पहुंचे थे। आपको बता दें कि वर्ष 2022 में बाबा को पद्मश्री से तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया था। तब वह 126 वर्ष के थे। पिछले दिनों स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन दिन तक इलाज के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को शनिवार की देर रात दुर्गाकुंड स्थित आश्रम पर लाया गया। 

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बांग्लादेश के श्रीहट्ट जिले के हरिपुर गांव में हुआ था शिवानंदजी का जन्म

आपको यह भी बता दें कि बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल (अब बांग्लादेश) के श्रीहट्ट जिले के गांव हरिपुर में हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनके माता-पिता भिक्षा मांगकर अपनी आजीविका चलाते थे। चार साल की उम्र में माता-पिता ने उन्हें नवद्वीप निवासी योगी बाबा ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया था, ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें। शिवानंद 6 साल के थे तभी उनके माता-पिता और बहन की मौत हो गई। गरीबी से जूझते बचपन में बाबा शिवानंद ने छह साल की उम्र में ही योग को जीवन का आधार बना लिया था। उन्होंने अपने गुरु के सान्निध्य में आध्यात्मिक साधना शुरू की और पूरा जीवन अनुशासन, सदाचार और योग साधना को समर्पित कर दिया। वर्ष 2022 में जब शिवानंद बाबा पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने राष्ट्रपति भवन पहुंचे। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नंदी मुद्रा में प्रणाम किया था। उनके इस योग कौशल ने देश-दुनिया का ध्यान खींचा था। महाकुंभ में भी उनका शिविर लगा था। योग और तप के बल पर बाबा शिवानंद ने आध्यात्मिक जगत में अपनी पहचान बनाई थी। 

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