
World Blood Donor Day : 7 साल पहले एक फोन कॅाल ने बदल दी रोहित की जिंदगी, आज हजारों लोगों के लिए बने काशी के ‘ब्लड एंजल’




World Blood Donor Day : रक्तदान को यूं ही 'महादान' नहीं कहा जाता। एक यूनिट ब्लड किसी को नई जिंदगी दे सकती है, लेकिन दुर्भाग्यवश जब किसी को रक्त की जरूरत होती है, तो रिश्तेदार-नातेदार तक पीछे हट जाते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के मानवता के नाम पर निस्वार्थ भाव से रक्तदान करते हैं। आज 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) के मौके पर हम आपको एक ऐसे ही शख्स से बारे में बताएंगे, जो रक्तदान से कतराने वालों के लिए एक उदाहरण हैं। ये अबतक अपनी संस्था के जरिए हजारों लोगों को जीवनदान दे चुके हैं।


World Blood Donor Day : जानें कौन है ये ‘ब्लड एंजल’
हम जिनकी बात कर रहे हैं उनका नाम रोहित कुमार साहनी (Rohit Kumar sahani) है, जो वाराणसी के निवासी है। रोहित बनारसी इश्क फाउंडेशन ट्रस्ट के संस्थापक है। रोहित की संस्था बीते सात वर्षों से रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है। संस्था के जरिए अबतक हजारों लोगों को नई जिंदगी मिल चुकी है। आइए जानते है रोहित ने इस संस्था को कैसे शुरु किया और अबतक उनके इस सफर में आने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में।


पेश है रोहित साहनी से बातचीत के कुछ मुख्य अंश
एक फोन कॉल ने बदल दी सोच
भदैनी मिरर से खास बातचीत में रोहित ने बताया कि सात साल पहले उन्हें एक कॉल आया जिसमें एक शख्स ने एक्सीडेंट में घायल होने की बात कही और खून की मदद मांगी। रोहित ने उस वक्त अपने फेसबुक पेज ‘बनारसी इश्क’ पर पोस्ट किया, जिसे देखकर आजमगढ़ के अमित सिंह नामक युवक ने संपर्क किया और तुरंत वाराणसी पहुंचकर रक्तदान किया।

अमित की इस भावना ने रोहित को भीतर तक झकझोर दिया। उन्होंने सोचा, “जब कोई अनजान व्यक्ति इतनी दूर से आ सकता है, तो हम यहां रहते हुए क्यों नहीं किसी की जान बचा सकते?” इसी सोच के साथ उन्होंने अपने जन्मदिन पर पहली बार खुद रक्तदान किया और फिर लोगों को भी प्रेरित किया।
अब तक 1870 यूनिट रक्तदान का रिकॉर्ड
रोहित ने बताया कि वे खुद 25 बार रक्तदान कर चुके हैं और उनकी संस्था Banarasi Ishq Trust Foundation अब तक 1870 यूनिट से ज्यादा रक्तदान करा चुकी है। 2024 में अकेले 900 यूनिट रक्तदान करवाया गया। इस मुहिम में 18 से 60 वर्ष की उम्र तक के कई महिलाएं और पुरुष शामिल हैं। संस्था अब रजिस्टर्ड है, जिससे लोगों को डोनर कार्ड और प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। इससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर ब्लड आसानी से मिल सके।
रोहित की जिंदगी का अबतक का सबसे क्रिटिकल केस
सबसे चुनौतीपूर्ण केस का ज़िक्र करते हुए रोहित ने बताया कि दो साल पहले जौनपुर के एक पुलिसकर्मी को बी नेगेटिव प्लेटलेट्स की सख्त ज़रूरत थी। मरीज का प्लेटलेट काउंट सिर्फ 5000 रह गया था। पूरा दिन डोनर की तलाश की गई लेकिन कोई नहीं मिला। आख़िरकार रात 12 बजे रोहित अपनी टीम के साथ BHU के बिड़ला हॉस्टल पहुंचे, वहां से दो लड़कियों को बाइक पर बैठाकर लाए जिन्होंने प्लेटलेट डोनेट किया। इस तरह उस जवान की जान बचाई जा सकी। रोहित बताते हैं, "ये पल मैं कभी नहीं भूल सकता– एक ज़िंदगी बचाना शब्दों से परे है।
रक्तदान को लेकर की अपील
रोहित कहते हैं कि अगर आप रक्तदान करना चाहते हैं तो किसी अधिकृत ब्लड बैंक या रजिस्टर्ड संस्था के माध्यम से ही करें। इससे आपको डोनर कार्ड और सर्टिफिकेट मिलता है, जो भविष्य में काम आता है। साथ ही, ब्लड की पारदर्शिता और जरूरतमंद को सही समय पर मदद भी सुनिश्चित होती है।
टीम ही असली हीरो
रोहित ने इस कामयाबी का पूरा श्रेय अपनी टीम को दिया। उन्होंने खास तौर पर वेद प्रकाश गुप्ता, जयंत अग्रवाल, अनूप गुप्ता, विशाल मेहरा, रोहित प्रजापति, आलोक यादव, शुभम जायसवाल, आशीष यादव, अंकिता सिंह और अरुंधती जायसवाल का नाम लिया, जिनकी मेहनत से आज हजारों लोगों को नई जिंदगी मिली है।
आप भी बन सकते हैं किसी की जिंदगी का कारण
विश्व रक्तदाता दिवस पर रोहित का यही संदेश है– "रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं। आइए, आगे आएं और इस मुहिम का हिस्सा बनें। एक यूनिट खून किसी के लिए ज़िंदगी की उम्मीद बन सकता है।

