खनन, कॉर्पोरेट लूट, मणिपुर की हिंसा और आदिवासियों की हत्या के खिलाफ उठाई आवाज
मानवाधिकार दिवस पर साझा संस्कृति मंच की अंबेडकर पार्क में मोमबत्ती सभा, सरकार की नीतियों का विरोध
बुलडोजर राज, उमर खालिद, सोनम वांगचुक की रिहाई और लोकतंत्र बचाने की मांग
वाराणसी, भदैनी मिरर। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर साझा संस्कृति मंच ने कचहरी स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क में मोमबत्ती सभा आयोजित कर देश में बढ़ते दमन, बुलडोजर न्याय और लोकतंत्र के क्षरण के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाई। सभा में सोनम वांगचुक, उमर खालिद सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई और जल-जंगल-जमीन की रक्षा की मांग की गई।




वक्ताओं ने लद्दाख में खनन और कॉर्पोरेट लूट, मणिपुर की हिंसा, बनारस-असम में बांग्ला भाषी गरीबों पर उत्पीड़न, सोनभद्र-बस्तर में आदिवासियों पर हमले और पिछले एक साल में 700 से अधिक आदिवासियों की हत्या का मुद्दा उठाया। उमर खालिद को छह साल बाद भी सबूत के अभाव में जेल में रखने और उनकी बहन की शादी में पैरोल तक न देने की कड़ी निंदा की गई। वक्ताओं ने कहा कि हंगर इंडेक्स में 125वें, प्रेस फ्रीडम में 161वें और हैप्पीनेस इंडेक्स में निचले पायदान पर पहुंच चुका भारत महिलाओं, दलितों, आदिवासियों व अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचलते हुए लोकतंत्र को खोखला कर रहा है।


वैश्विक स्तर पर फिलिस्तीन, सूडान, युक्रेन में जारी कारपोरेट-राज्य गठजोड़ के बुलडोजर राज की भी निंदा की गई और शांति, अहिंसा व सह-अस्तित्व के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया। सभी ने मोमबत्तियां जलाकर प्रतिरोध और उम्मीद की अलख जगाई। सभा में डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी, जगृति राही, एकता शील, मुनिजा रफीक खान, नंदलाल मास्टर, रंजू सिंह, धनंजय त्रिपाठी, रवि शेखर, अनूप श्रमिक, एडवोकेट अबु हाशिम, फादर प्रवीण, सिस्टर फ्लोरिन आदि ने विचार व्यक्त किये।

