
वाराणसी के सक्षम बादल ने IIT के बाद NEET में 1907वीं रैंक हासिल कर रचा इतिहास, बचपन में ही पिता ने छोड़ दिया साथ




वाराणसी, भदैनी मिरर। "कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की ये पंक्तियां वाराणसी के सक्षम बादल की जिंदगी को बिल्कुल सटीक बयान करती हैं। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बीच पले-बढ़े सक्षम ने NEET 2025 में ऑल इंडिया जनरल रैंक 1907 और कैटेगरी रैंक 912 हासिल कर एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। इससे पहले वे IIT-JEE एडवांस 2024 में 3223वीं रैंक हासिल कर पहले ही सबका ध्यान खींच चुके हैं।


बचपन से ही चुनौतियों से लड़ने की आदत
गायघाट (वाराणसी) निवासी सक्षम बादल का बचपन सुविधाओं से दूर, संघर्षों की छांव में बीता। पिता ने बचपन में ही साथ छोड़ दिया और मां एक शिक्षामित्र ने अपने बेटे के उज्ज्वल भविष्य का सपना अकेले ही जिया। आर्थिक तंगी, समाजिक चुनौतियां और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच सक्षम ने कभी हार नहीं मानी।


जब 10वीं में पढ़ाई की, तब 11वीं के छात्रों को पढ़ाया
कोरोना लॉकडाउन के दौरान जहां देश के अधिकांश छात्र ऑनलाइन शिक्षा की दिक्कतों से जूझ रहे थे, वहीं सक्षम ने इसे अवसर में बदला। उन्होंने अपना सिलेबस समय से पहले पूरा किया और उम्र से बड़े छात्रों को ट्यूशन पढ़ाकर मां की मदद की।

पहले IIT, अब NEET – दो-दो क्षेत्रों में कामयाबी
बिना किसी महंगी कोचिंग के, सक्षम ने पहले IIT-JEE में 3223वीं रैंक हासिल की और फिर मेडिकल की तैयारी में जुट गए। NEET 2025 के रिजल्ट में उन्होंने देश भर में 1907वीं रैंक हासिल की, जो एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्र के लिए असाधारण उपलब्धि है।
मां की मेहनत और त्याग ने दी उड़ान
सक्षम की मां ने अपने बेटे के लिए वो सब कुछ सहा जो शायद ही कोई और कर पाता। भूखे पेट सोकर भी बेटे को कभी हताश नहीं होने दिया। उनकी मेहनत और त्याग का ही परिणाम है कि आज सक्षम देश के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में दाखिला पाने के कगार पर हैं।
सिर्फ एक रिजल्ट नहीं, एक प्रेरणादायक कहानी
सक्षम बादल की कहानी किसी भी युवा को यह विश्वास दिलाने के लिए काफी है कि अगर जज्बा हो, तो संसाधनों की कमी भी रास्ता नहीं रोक सकती। उन्होंने साबित किया कि बड़ी सफलता पाने के लिए जरूरी नहीं कि बड़ी कोचिंग हो, जरूरी है- बड़ी सोच, लगन और आत्मविश्वास।
शिक्षकों और परिजनों में खुशी की लहर
NEET परिणाम घोषित होते ही सक्षम के घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। उनके शिक्षक उज्ज्वल कन्नौजिया और परिजनों ने मिठाई खिलाकर इस कामयाबी का जश्न मनाया।
सक्षम बादल ने कहा, अगर हालात गिराएं, तो उठकर खुद को साबित करना सीखो। क्योंकि खुद से जीतना ही सबसे बड़ी जीत है।”

